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JCC ने जारी किया 15 दिसंबर का वीडियो, लाइब्रेरी में डंडे बरसा रही दिल्ली पुलिस

इस कमेटी का दावा है कि 15 दिसंबर को जब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन हुआ तो उस दौरान पुलिस ने जामिया के अंदर पढ़ रहे छात्रों पर लाठियां बरसाईं. जो वीडियो जारी किया गया है उसमें छात्र लाइब्रेरी में पढ़ते नजर आ रहे हैं, तभी पुलिस वहां आकर पिटाई शुरू कर देती है. छात्रों के हाथों में किताबें भी नजर आ रही हैं.

जामिया इलाके में पुलिस बर्बरता की कई तस्वीरें सामने आई थीं (तस्वीर-PTI) जामिया इलाके में पुलिस बर्बरता की कई तस्वीरें सामने आई थीं (तस्वीर-PTI)
तनुश्री पांडे
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:26 AM IST

  • विश्वविद्यालय प्रशासन से नहीं जुड़ी है जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी
  • NRC और सीएए के खिलाफ आवाज उठा रही है यह समिति

जामिया मिलिया इस्लामिया में 15 दिसंबर को हुई बर्बरता से जुड़ा का एक वीडियो सामने आया है. ये जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी ने जारी किया है, जिसमें सुरक्षाबल लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों पर डंडे बरसाते नजर आ रहे हैं.

इस कमेटी का दावा है कि 15 दिसंबर को जब नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन हुआ तो उस दौरान पुलिस ने जामिया के अंदर पढ़ रहे छात्रों पर लाठियां बरसाईं. जो वीडियो जारी किया गया है उसमें छात्र लाइब्रेरी में पढ़ते नजर आ रहे हैं, तभी पुलिस वहां आकर पिटाई शुरू कर देती है. छात्रों के हाथों में किताबें भी नजर आ रही हैं.

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जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी ने इस वीडियो पर कहा है कि सीसीटीवी फुटेज में साफ झलक रहा है कि पुलिस बल राज्य प्रायोजित हिंसा को अंजाम दे रही है. जामिया के छात्र अपने एग्जाम की तैयारी रीडिंग हॉल में कर रहे थे तभी पुलिस ने उन पर बर्बरता की.

पुलिस का दावा- लाइब्रेरी में थे नकाबपोश

वहीं इस वीडियो पर दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस वीडियो में कुछ नकाबपोश लोग भी दिख रहे हैं. जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी इस वीडियो को शनिवार से ही वायरल कर रही है. पुलिस का यह भी कहना है कि क्राइम ब्रांच को पहले ही जांच सौंप दी गई थी. इन सभी वीडियो की जांच की जाएगी.

जामिया प्रशासन का हिस्सा नहीं है जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी

बता दें जामिया मिलिया इस्लामिया का जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी से कोई ताल्लुक नहीं है. यह कमेटी नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) के खिलाफ जारी आंदोलनों को लीड कर रही है. इस कॉर्डिनेशन कमेटी में जामिया के कई पूर्व छात्र भी शामिल हैं.

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यह भी पढ़ें: CAA: जामिया यूनिवर्सिटी का RTI में जवाब, तोड़फोड़ का रिकॉर्ड नहीं

पुलिस पर कैंपस में जबरदस्ती घुसने का आरोप

इस सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए लगातार सीएए-एनआरसी के खिलाफ उठ रही आवाजें बुलंद की जाती रही हैं.  हालांकि, जामिया में 15 दिसंबर को जब हिंसा हुई तो यही आरोप लगे थे कि पुलिस जबरदस्ती कैंपस में घुसी और लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों की पिटाई की. लाइब्रेरी में तोड़फोड़ के वीडियो भी सामने आए थे.

यह भी पढ़ें: कोर्ट का निर्देश- जामिया में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करे पुलिस

यहां तक कि जामिया प्रशासन ने भी साफ कहा था कि दिल्ली पुलिस बिना इजाजत कैंपस में घुसी. पुलिस ने भी इस बात को स्वीकार किया था, लेकिन कहा था कि हिंसा में शामिल लोगों को काबू करने के लिए पुलिस कैंपस में घुसी थी.

जामिया प्रशासन ने मानी थी तोड़फोड़ की बात

15 दिसंबर की घटना पर जामिया प्रशासन ने एक आंतरिक रिपोर्ट भी तैयार की थी जिसके बाद यह कहा गया था कि परिसर के अंदर दिल्ली पुलिस की अनाधिकृत रूप से दाखिल हुई थी , जिसकी न्यायिक जांच की जाए. जब दिल्ली पुलिस कैंपस में घुसी थी तब छात्र कमरे के अंदर शांतिपूर्ण तरीके से अध्ययन कर रहे थे. पुलिस ने उन पर बल प्रयोग किया था.

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