
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह गुरुवार को जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) कैम्पस में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विषय पर बोलने पहुंचे थे. इस दौरान उन्हें नारेबाजी का सामना करना पड़ा. मंत्री को ‘अनुच्छेद 370 हटना: जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में शांति, स्थिरता और विकास’ विषय पर अपनी बात रखनी थी.
जेएनयू कन्वेंशन सेंटर के बाहर तख्तियों के साथ छात्रों का गुट आपस में गर्मागर्म बहस करता दिखा. जहां छात्रों का एक वर्ग ‘फ्री कश्मीर’ जैसे नारे लगा रहा था, वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य जवाब में ‘कश्मीर से कन्याकुमारी, भारत माता एक हमारी’ के नारे लगा रहे थे.
विरोध में जो छात्र प्रदर्शन कर रहे थे उन्होंने किसी छात्र संगठन के साथ अपना जुड़ाव नहीं दिखाया. हालांकि, एबीवीपी का आरोप है कि प्रदर्शनकारी लेफ्ट विंग के छात्र संगठन से जुड़े थे. एबीवीपी ने ही केंद्रीय मंत्री के व्याख्यान का कार्यक्रम आयोजित किया था. एबीवीपी के एक एक्टिविस्ट की ओर से कहा गया, "अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पूरा देश जश्न मना रहा है और जेएनयू भी इसका हिस्सा बनना चाहता था. यह चर्चा इसलिए आयोजित की गई थी ताकि जेएनयू के छात्र और प्रोफेसर मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ कश्मीर में आगे विकास के रोड मैप पर विमर्श कर सकें. लेकिन हमेशा की तरह जो कश्मीर को अलग स्टेट देखना चाहते हैं, उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर दखल देने की कोशिश की. ये वामपंथी छात्र हैं जो चर्चा और और बहस के बारे में बात करते हैं, लेकिन फ्रंट पर हिंसा करते हैं."
छात्र संघ ने की आयोजन की निंदा
वहीं लेफ्ट के प्रतिनिधि ने कहा, “हम इस बारे में नहीं जानते. लेफ्ट आज के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं था. एबीवीपी जो आरोप लगाना चाहे लगा सकता है. सच अलग हो सकता है.” जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) की तरफ से एक बयान जारी कर कार्यक्रम के आयोजन की निंदा की गई.
बयान में कहा गया, "यह विडंबना है कि जिस प्रशासन ने जेएनयू की शांति और स्थिरता को बर्बाद कर दिया है, वो ऐसी पार्टी के एक मंत्री को आमंत्रित कर रहा है जो देश की शांति और स्थिरता को नष्ट कर रही है. अनुच्छेद 370 को हटाने से राज्य में जो सिर्फ एक स्थिरता आई है, वो है कठोर सुरक्षा प्रबंधों के कारण लोग अपने घरों में बंद होकर रह गए हैं. बिना कहे अनुच्छेद के प्रावधान हटाना और राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बदलने का एकतरफा फैसला सरकार में एक फासीवादी ताकत का अधिनायकवादी कृत्य है. वो ताकत जो सोचती है लोगों के जीवन के साथ कुछ भी और हर कुछ कर सकती है."
एक भी वजह नहीं बता सकते विरोध करने वाले
इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंन्द्र सिंह ने कहा, "अनुच्छेद 370 को हटाने की बहुत अधिक ज़रूरत को पीएम मोदी ने सबसे बेहतर तरीके से किया. जो लोग इस पर नाराजगी जता रहे हैं, वो ऐसा न किए जाने के पक्ष में एक भी वजह नहीं दे सकते.”
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में रहने वाले युवा अपनी पहचान को लेकर भ्रमित थे लेकिन ये कदम आतंकवाद को घटाएगा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 5 अगस्त के बाद से एक दिन भी कर्फ्यू नहीं रहा, हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई. जम्मू और कश्मीर, लद्दाख में बड़े पैमाने पर विकास होगा जो 4-5 महीने में दिखने लगेगा.