Advertisement

चुनाव आयोग के फैसले पर कानूनी राय लेगी AAP

सौरभ भारद्वाज का कहना है कि "जब चुनाव आयोग संसदीय सचिव का मामला सुन रहा था उस दौरान दिल्ली हाइकोर्ट से 21 संसदीय सचिव की नियुक्तियां रद्द कर दी गयी थी. इस मतलब ये हुआ कि ये लोग कभी संसदीय सचिव बने ही नहीं. तो सवाल ये कि वे जब कानूनी रूप से संसदीय सचिव बने ही नहीं तो क्या उसके ऊपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मुकदमा चल सकता है

सौरभ भारद्वाज सौरभ भारद्वाज
पंकज जैन/अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:06 PM IST

आम आदमी पार्टी के 21 संसदीय सचिव के मामले को खत्म करने की दलील चुनाव आयोग ने खारिज कर दी. इसके बाद पार्टी कानूनी सलाह लेने की तरफ आगे बढ़ रही है. विधायकों की चिंता बढ़ाने वाले चुनाव आयोग के आदेश पर 'आजतक' संवाददाता ने 'आप' प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज से खास बातचीत की है.

सौरभ भारद्वाज का कहना है कि "जब चुनाव आयोग संसदीय सचिव का मामला सुन रहा था उस दौरान दिल्ली हाइकोर्ट से 21 संसदीय सचिव की नियुक्तियां रद्द कर दी गयी थी. इस मतलब ये हुआ कि ये लोग कभी संसदीय सचिव बने ही नहीं. तो सवाल ये कि वे जब कानूनी रूप से संसदीय सचिव बने ही नहीं तो क्या उसके ऊपर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मुकदमा चल सकता है?"

आम आदमी पार्टी ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट लिया या नहीं?
सौरभ का मानना है कि "जब हाइकोर्ट ने नियुक्तियां रद्द कर दी. तो क्या चुनाव आयोग ये सुनवाई कर सकता है कि संसदीय सचिव ने कोई प्रॉफिट लिया या नहीं? हाइकोर्ट और चुनाव आयोग के ऑर्डर का हम सम्मान करते हैं. आगे क्या करना है इसपे हमारी पार्टी के विशेषज्ञ फैसला लेंगे. सभी फैसलों के खिलाफ हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक में अपील हो सकती है."

"संविधान के अंदर है चुनाव आयोग "
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया. सौरभ ने कहा कि "चुनाव आयोग हमारी बातों से कितना संतुष्ट है सब जानते हैं. संविधान सबसे ऊपर है जिसके अंदर चुनाव आयोग भी है."

बता दें कि चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा रद्द करने के आधार पर आयोग में लाभ के पद को लेकर दायर शिकायत को खारिज कर सुनवाई बंद करने की अर्जी को ठुकराते हुए सुनवाई जारी रखने को कहा है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी और निर्वाचन आयुक्त एके जोती ने शुक्रवार को आप विधायकों की अर्जी पर जारी आदेश में कहा है कि उच्च न्यायालय के गत वर्ष आठ सितंबर के आदेश से आयोग में लाभ के पद को लेकर चल रही सुनवाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसलिये इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement