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प्रीती श्रीनिवासन 'सोलफ्री' के संस्था की को-फाउंडर हैं. प्रीती पहले राष्ट्रीय स्तर की तैराक और तमिलनाडु के अंडर 19 महिला क्रिकेट टीम की कैप्टन हुआ करती थीं. पर पांडिचेरी में एक हुए हादसे के बाद से वो गले के नीचे से पैरालाइज्ड हो गईं. इस हादसे ने प्रीती से सबकुछ छीन लिया पर उन्होंने अपना दुख भुलाकर जरूरत मंद लोगों की मदद करने की ठानी और ऐसे में 'सोलफ्री ' संस्था का जन्म हुआ.
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ये बात तकरीबन 17 साल पहले की है, जब प्रीती अपने कुछ साथियों के साथ बीच पर समुद्र किनारे लहरों का मजा ले रही थी. तभी अचानक एक लहर उनसे ऐसे आकर टकराई जिसने प्रीती की जिंदगी बदल डाली. उस वक्त क्या हुआ आसपास मौजूद किसी को समझ नहीं आया. लहरों में फंसी प्रीती अपने शरीर में हलचल तक नहीं कर पा रहीं थीं. जब तक उनके साथी उन्हें बचाने आए, प्रीती तब तक अपनी सांस रोककर अपनी जिंदगी बचाने में सफल रहीं. जब प्रीती को अस्पताल ले जाया गया तब पहले प्रीती की पैरालाइज होने की जानकारी नहीं मिल पाई. पर चेन्नई के एक अस्पताल में उनके विकलांगता को पहचाना गया.
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चैपिंयन की तरह जीने वाली प्रीती से सबकुछ छीन गया. उनके सारे दोस्त उनसे बिछड़ गए. एक कॉलेज में उन्हें इसलिए दाखिला नहीं मिल पाया क्योंकि वो तीसरी मंजिल पर था. तब प्रीती की मां ने उनका हौसला रखा और अपने ही जैसे स्पाइनल कॉर्ड से विकलांग लोगों की मदद करने का आइडिया दिया.
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आज 'सोलफ्री ' एक बहुत पॉपुलर संस्था है जो विकलांग और जरूरतमंदों को सम्मान की जिंदगी जीने में मदद कर रहा है. संस्था खासकर महिलाओं को लेकर ज्यादा सजग रहती है. 'सोलफ्री ' का मुख्य उद्देश्य स्पाइनल कॉर्ड के चोट के बारे में लोगों को जागरुक करना, जरूरतमंदों को डोनेशन के जरिए सपोर्ट सिस्टम दिलवाना, उन्हें शिक्षा और रोजगार दिलाना.
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संस्था एक स्टाइपंड प्रोग्राम भी चलती है, जिसमें स्पाइनल कॉर्ड विकलांगता वाले जरूरतमंद जो बिना पैसे के जिंदगी काट रहें उन्हें एक साल तक 1000 रुपये देती है. संस्था ने अभी एक व्हीलचेयर भी एक टैलेंटेड पैरा ओलंपियन को दिया है. जिसकी कीमत 3.5 लाख रुपये है. संस्था ने पोलिओ से पीड़ित एक महिला को सीलिंग मशीन भी दिया है. साथ ही 'सोलफ्री ' एक रिहैबीलिटेशन सेंटर खोलने की भी तैयारी कर रही है जो जरुरतमंदों के लिए घर जैसा होगा.