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दिल्ली सरकार ने रोजगार बजट में 20 लाख नई नौकरियां देने के मकसद से पहले फेज में राजधानी के पांच बड़े बाजारों को चुना है. सरकार इन बाजारों का री-डेवलपमेंट भी कराएगी. इनमें कमला नगर, खारी बावली, लाजपत नगर, सरोजनी नगर और कीर्ति नगर मार्केट को शामिल किया गया है. इन बाजारों में जाकर 'आजतक' की टीम ने जब व्यापारियों और अन्य लोगों से बात की तो उनका कहना था कि यहां सबसे ज्यादा समस्या पार्किंग की रहती है. इसके अलावा गंदगी है और अन्य मूलभूत सुविधाओं की भी कमी है, जिस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
1. कीर्ति नगर मार्केट
दिल्ली की कीर्ति नगर मार्केट एशिया की सबसे बड़ी फर्नीचर मार्केट है. मार्केट के वाइस प्रेसिडेंट विजय पटेल के मुताबिक, यहां पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है. जो कस्टमर आते हैं, वो काफी हाई प्रोफाइल होते हैं. गाड़ी से ही ज्यादातर लोग शॉपिंग करने के लिए आते हैं, लेकिन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं मिलती. ऐसे में सरकार को यहां पार्किंग का इंतजाम करना चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा कस्टमर आएं, और व्यापार को भी बढ़ावा मिले.
क्या है समस्या
मार्केट के जनरल सेक्रेटरी विक्रम वर्मा के मुताबिक, यहां रोजाना 7 से 8 हजार कस्टमर खरीदारी करने आते हैं, इनमें महिलाओं की संख्या अच्छी खासी है, लेकिन महिलाओं के लिए कोई भी पब्लिक टॉयलेट की व्यवस्था इस मार्केट में नहीं है. इलाके के लोग चाहते हैं कि डेवलपमेंट योजना के तहत टॉयलेट की व्यवस्था की जाए.
व्यापारी संदीप भारद्वाज बताते हैं कि मार्केट में अतिक्रमण भी बड़ी समस्या है. यहां फर्नीचर का काम होता है और लोडिंग-अनलोडिंग की भी समस्या लंबे समय से बनी हुई है, जिस पर काम होने की सख्त जरूरत है. लोडिंग-अनलोडिंग होने के कारण जाम लग जाता है, जिससे कस्टमर भी परेशान होते हैं.
1974 में हुई थी मार्केट की शुरुआत
कीर्ति नगर मार्केट के अध्यक्ष घनश्याम के मुताबिक, इस मार्केट की शुरुआत साल 1974 में हुई थी. उस वक्त इस मार्केट में इक्का-दुक्का दुकानें ही होती थीं, लेकिन आज यहां तकरीबन 2 हजार के आसपास दुकाने हैं, जहां हर रोज 7 से 8 हजार खरीदार फर्नीचर की शॉपिंग करने के लिए देश के हर कोने-कोने से आते हैं. यहां विदेशों से भी कस्टमर फर्नीचर खरीदने आते हैं. इस मार्केट में तैयार फर्नीचर के साथ रॉ मैटेरियल कारीगरों की भी सैकड़ों दुकाने हैं.
विकास के लिए बढ़े फंड, व्यापारियों की मांग
मार्केट के कारोबारियों के मुताबिक, यह पहली बार है जब किसी सरकार ने उनकी परेशानियां सुनने के लिए खुद उप-मुख्यमंत्री को बाजारों में भेजा है. कारोबारी खुश हैं कि उनकी बात सुनकर ही उनके मार्केट का डेवलपमेंट हो रहा है, लेकिन कारोबारियों की सरकार से यह भी गुहार है कि जो फंड मार्केट के डेवलपमेंट के लिए रखा गया है, वह बेहद कम है. सरकार को अगर इंटरनेशनल लेवल पर इस मार्केट को विकसित करना है तो उसके लिए फंड बढ़ाना होगा, इस पर भी सरकार को विचार करना चाहिए.
बाजार में बनाया जाए एग्जीबिशन हब
कीर्ति नगर मार्केट के व्यापारियों ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार उनके बाजार में एक एग्जीबिशन हब बनाए, ताकि देश-विदेश से लोग इस इस मार्केट के फर्नीचर प्रोडक्ट्स को देखने के लिए आएं. इससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और व्यापारियों का भी कारोबार बढ़ेगा.
2. लाजपत नगर मार्केटः पार्किंग स्पेस बढ़े, सफाई पर दिया जाए ध्यान
दिल्ली के साउथ-ईस्ट जिले में लाजपत नगर मार्केट साल 1950 में बनी. भारत-पाक बंटवारे के समय दिल्ली लौटने वाले रिफ्यूजी को रहने के लिए घर दिए गए थे. इन्हीं घरों के आगे रोजगार के लिए दुकानें भी दी गईं थीं. इस समय यह मार्केट करीब 6 किलोमीटर में फैली है. यहां करीब 1300 दुकानें हैं. वीर सावरकर मार्ग, फिरोज गांधी मार्ग पूरी तरह से कमर्शियल हैं.
वेडिंग डेस्टिनेशन हब है लाजपत नगर
लाजपत नगर मार्केट वेडिंग डेस्टिनेशन हब है. एशिया की सबसे बड़ी होलसेल और रिटेल मार्केट के तौर पर मशहूर लाजपत नगर में 400 से लेकर 10 हजार रुपए तक की कमीज भी मिल जाती है. टॉप केमिस्ट, टॉप गारमेंट्स शॉप, बेस्ट रेस्टोरेंट के साथ ही ब्रांडेड और अनब्रांडेड और हर एज ग्रुप की जरूरत के सामान यहां मिलते हैं. 500 रुपए से लेकर 25 हजार तक के जूते भी मिल जाते हैं.
मूलभूत सुविधाओं के बिना कैसा ब्रांड?
लाजपत नगर मार्केट में वीकेंड पर पार्किंग स्पेस से अधिक गाड़ियां आती हैं. मार्केट के बाहर वीर सावरकर मार्ग बारिश में दरिया बन जाता है. कई बार बैरियर लगाकर रोड बंद करनी पड़ती है. सालों से सीवर का मेंटेनेंस नहीं हुआ.
ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मदान का कहना है कि 8 साल से मार्केट को बेसिक एम्नीटीज तक नहीं दी गईं. जनरल सेक्रेटरी अश्विनी मारवाह ने कहा कि अब तक सिर्फ करेक्टिव एक्शन लिया गया, लेकिन योजना के साथ redevelopment नहीं हुआ. बाजार में बिजली के तार लटक रहे हैं. डॉ. अशोक कपूर का कहना है कि लोगों के लिए कोई रिक्रिएशनल स्पेस नहीं है.
मॉडल मार्केट बनाने के लिए ट्रेडर एसोसिएशन की मांगें
वीर सावरकर मार्ग, फिरोज गांधी मार्ग पर वाटरलॉगिंग आम है. बिजनेसमैन विजय बजाज का कहना है कि 1973 में शोरूम खोला था, अब अवैध रेहड़ी-पटरी और हॉकिंग की वजह से एलीट क्लास का आना कम हो गया है. पुरानी मार्केट की सफाई व्यवस्था और सीवरेज ठीक नहीं है. मॉडल मार्केट बनाने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है. ऑटो स्टैंड नहीं है, रिक्शा लेन नहीं है. ट्रैफिक लॉगिंग हो जाता है. ट्रेडर एसोसिएशन ने मांग करते हुए कहा कि प्लान में टाउन प्लानर की बजाय दुकानदार और रेसिडेंट को एक्टिव प्लेयर की तरह इस्तेमाल किया जाए.
2 लाख जॉब पर सस्पेंस
लाजपत नगर नो हॉकिंग, नो स्वैटिंग जोन है. यहां पटरी स्ट्रीट वेंडर्स पर रोक है. एसोसिएशन ने कहा है कि 2 लाख जॉब क्रिएशन सरकार किस तरह से करेगी, उसका प्लान बताए. लाजपत नगर रेहड़ी-पटरी फुटपाथ एकता मंच के प्रधान मोहम्मद सलीम ने कहा कि लाजपत नगर में करीब 1500 हॉकर्स हैं. कोर्ट में केस हारने के बाद पांच साल से लाजपत नगर में रेहड़ी नहीं लग सकती है. फुटपाथ पर अवैध रेहड़ी-पटरी वालों का कब्जा है.
3. कमलानगरः रोड पर लटकते हैं बिजली के तार
1950 में बनी कमला नगर मार्केट को एक तरह से यूथ हैंगआउट जोन घोषित किया गया है. चयन समिति के सदस्य बृजेश गोयल का दावा है कि बाजार का उसकी यूएसपी के तहत बदलाव होगा. कमला नगर बाजार में तीन एसोसिएशन हैं, उनमें से दो मुख्य एसोसिएशन के प्रधान से 'आजतक' ने बातचीत की.
कमला नगर बाजार के प्रधान नरेश सांभर ने कहा कि यहां बिजली के उलझे तार और पार्किंग की समस्या गंभीर है. पुनर्विकास के दौरान और बाद में फायदा होगा या नुकसान इस सवाल के जवाब में व्यापारी नेता नरेश सांभर ने कहा कि सुविधा मिलेगी तो 50 से 70 प्रतिशत ग्राहक बढ़ने की उम्मीद है, हालांकि थोड़ा नुकसान सहने के लिए तैयार हैं.
'कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है'
कमला नगर बाजार के दूसरे प्रधान प्रवीण दीवान ने कहा कि कमला नगर बाजार की तीनों एसोसिएशन ने सरकार की समिति को पुनर्विकास के लिए समर्थन दिया है. प्रधान ने बताया कि पुनर्विकास के बाद देखरेख की पूरी जिम्मेदारी एसोसिएशन की होगी. प्रवीण दीवान ने नुकसान के सवाल पर सिर्फ इतना कहा कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, हालांकि ग्राहकी बढ़ेगी तो दुकानदार का ही भला होगा.
'ऐसे खत्म हो सकती है ट्रैफिक जाम की समस्या'
कमला बाजार में पिछले 20 साल से दुकान चला रहे कुमार ने कहा कि अगर गाड़ियां बाजार के बाहर पार्क होती हैं और बाजार की छोटी सड़कों पर ई-रिक्शा नहीं रुकने दिए जाएं तो ट्रैफिक जाम की समस्या खत्म हो जाएगी. कमला बाजार में 15 साल से दुकान चला रहे व्यापारी विकास आहूजा ने कहा कि कमला बाजार डिसेबल्ड फ्रेंडली बने. पार्किंग रियल टाइम मोबाइल एप से संचालित होनी चाहिए. टॉयलेट, सीवर, पानी और सीसीटीवी कैमरे की समस्या पर फोकस जरूरी है.
व्यापारियों से चर्चा कर फाइनल होगा प्लान: सिसोदिया
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया कमला नगर बाजार के दौरे पर पहुंचे थे. सिसोदिया ने कहा कि कमला नगर मार्केट अब तक कुछ प्रशासनिक उपेक्षा और नगर निगम की उपेक्षा का शिकार रहा है, लेकिन अब दिल्ली सरकार ने इसकी तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया है. इस प्रोजेक्ट में व्यापारी साथ दे रहे हैं. कई आइडिया दिए हैं. उनको कलेक्ट कर प्लान बना रहे हैं. इसमें थोड़ा समय लगेगा, लेकिन व्यापारियों से चर्चा कर जब प्लान फाइनल होगा तो तेजी से हम इसे एग्जीक्यूट करेंगे.
इस योजना को लेकर केजरीवाल सरकार ने कहा है कि दिल्ली में लगभग 3.50 लाख दुकानें हैं. बाजारों में लगभग 7.5 लाख से 8 लाख लोग काम करते हैं. पुनर्विकास के तहत बाजार के भौतिक बुनियादी ढांचे को ठीक किया जाएगा. सड़कें, सीवर, पानी व पार्किंग को दुरुस्त कर मार्केट को खूबसूरत बनाया जाएगा. बाजारों की ब्रांडिंग भी की जाएगी.
पहले फेज में चुने गए ये बाजार
सरकार को 33 मार्केट की ओर से मिले हैं 49 हजार आवेदन
बाजारों के पुनर्विकास के लिए अप्रैल महीने में आवेदन मांगे गए थे. 33 मार्केट की ओर से 49 आवेदन सरकार को मिले थे. दिल्ली सरकार ने आठ सदस्यीय चयन समिति भी गठित की, जिसने आवेदनकर्ताओं और मार्केट एसोसिएशन से बात करने के बाद पांच बाजारों को शॉर्टलिस्ट किया है. अब एक डिजाइन कंपटीशन होगा, जिसमें डिजाइनर्स और आर्किटेक्ट शामिल होंगे. अगले छह हफ्ते में कंपटीशन की घोषणा की जाएगी.
4. सरोजिनी नगरः कारोबारी बोले- मार्केट आधुनिक बने
सरोजिनी नगर मार्केट में आधुनिकीकरण का मुद्दा विवादित हो गया है. नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेंबर कुलजीत सिंह चहल ने कहा ये जनता के बीच केजरीवाल का एक और झूठ है. सरोजिनी नगर मार्केट की जगह एलएंडडीओ की है, जबकि साफ-सफाई नई दिल्ली म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन करता है. इसमें दिल्ली सरकार क्या करेगी? चहल ने कहा कि एनडीएमसी का री-डेवलपमेंट प्लान चल रहा है. जो भी कमियां हैं, उसे दूर करेंगे.
'सरोजिनी नगर को बनाया जाए चार मंजिला मार्केट'
सरोजिनी नगर मिनी और बड़ी मार्केट के दुकानदारों ने कहा कि हमें कोई भ्रम नहीं है. कोई भी करे, बस मार्केट को आधुनिक और ब्रैंड बनाए. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी एनडीएमसी के मेंबर हैं. सरोजिनी मार्केट शॉप कीपर एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह साहनी ने कहा कि ये बाजार एनडीएमसी एरिया में आता है. बाजार के लिए ग्रेनाइट टाइल पास हो गई है, लेकिन अभी तक नहीं लगी. बाजार को डबल स्टोरी के रूप में डेवलप किया गया, लेकिन बढ़ती भीड़ की वजह से इसे अब चार मंजिला मार्केट के रूप में बनाया जाना चाहिए.
अंडरग्राउंड पार्किंग बने, ऊपर गोडाउन की मिले परमिशन
मिनी मार्केट के अध्यक्ष अशोक रंधावा ने कहा कि हम 1976 के अलॉटी हैं, जिन्हें 8 बाय 8 की जगह अलॉट की गई. हम चाहते हैं कि जैसे दिल्ली के दूसरे बाजार तिब्बती, जनपथ, यशवंत प्लेस में ऊपर गोडाउन बनाने की अनुमति दी गई है, वह हमें भी दी जाए. कारोबारी नितिन भाटिया का कहना है कि यहां फीडिंग रूम बनना चाहिए और केशव पार्क के पास अंडरग्राउंड पार्किंग बनाई जानी चाहिए. कारोबारी कमल का कहना है कि मार्केट का स्टैंडर्ड प्लान मिले, जिससे ये रेगुलराइज हो जाएंगी.
आज तक नहीं मिले 2007 के मास्टर प्लान के नक्शे
मार्केट के पूर्व अध्यक्ष धर्मवीर गुलाटी का कहना है कि 2007 के मास्टर प्लान के नक्शे आज तक नहीं मिले. पहले फ्लोर के कमर्शियल चार्ज लिए जा रहे हैं, लेकिन कमर्शियल मीटर आज भी नहीं लगा है, जबकि मिसयूज का 200 प्रतिशत चार्ज लिया जा रहा है, जो कि अन्याय है. सरोजिनी नगर मार्केट में शापिंग को आईं जिया का कहना है कि मल्टीलेवल पार्किग में कार देने पर करीब 20 मिनट खराब हो जाते हैं.
एनडीएमसी के मेंबर कुलजीत सिंह चहल ने कहा कि कारोबारी और ऑनर दोनों के हित, सुरक्षा और कोरोना को ध्यान में रखकर शॉपकीपर्स की मांग पर गौर करेंगे. एनडीएमसी के टाउन वेंडिंग कमेटी मेंबर मोहम्मद हयात का कहना है कि सरोजिनी नगर मार्केट में दो तरह के रेहड़ी-पटरी वाले हैं. वैध करीब 300 लोग हैं, जिन्हें एनडीएमसी ने लाइसेंस दे रखा है और फीस लेती है, जबकि 400 वो लोग हैं, जो लंबे वक्त से मार्केट में थे. 2007 की एक योजना के तहत वो हाइकोर्ट चले गए और कोर्ट ने उनको प्रोटेक्शन दे रखा है.
5. खारी बावली मार्केटः ओवरफ्लो सीवर और पानी की किल्लत बड़ी परेशानी
पुरानी दिल्ली की खारी बावली मार्केट दुनियाभर में मसालों की खुशबू के लिए मशहूर है. खारी बावली मार्केट के जिस एक किलोमीटर के पैच का डेवलपमेंट दिल्ली सरकार करने का प्लान बना रही है, दरअसल, उस मार्केट में कई अलग-अलग मार्केट शामिल हैं. ड्राई फ्रूट मार्केट, किराना, केमिकल मार्केट, तिलक बाजार, मसाले के साथ साथ फूड आयल की मार्केट शामिल है.
क्या है समस्या
मार्केट में सड़कों पर लटकते बिजली के तार, ओवरफ्लो सीवर और पानी की किल्लत बड़ी समस्याएं हैं. मसाला कारोबारी वीरेंद्र गुप्ता के मुताबिक, यहां रोजाना 10 हजार लोग आते हैं. फेस्टिवल टाइम में ये संख्या बढ़कर 15 से 17 हजार तक पहुंच जाती है. पार्किंग और टॉयलेट की समस्या है.
लोडिंग-अनलोडिंग से भी परेशानी
फूड ऑयल का कारोबार करने वाले हेमंत गुप्ता का कहना है कि सड़कों पर लोडिंग अनलोडिंग होती है. सरकार को माल लोडिंग के लिए कोई जगह देनी चाहिए. कारोबारी नवीन अरोड़ा ने कहा कि बाजार में अतिक्रमण बड़ी समस्या है. इसका खामियाजा व्यापारियों को भुगतना पड़ता है. खारी बावली का रोड तकरीबन 40 फीट चौड़ा है. अगर अतिक्रमण हटा लिया जाए तो राहत मिलेगी.
री-डेवलपमेंट सराहनीय कदम
खारी बावली मार्केट के व्यापारियों ने कहा कि आखिर 20 करोड़ रुपए में कैसे बाजार का डेवलपमेंट हो पाएगा. इसका अमाउंट सरकार को बढ़ाना चाहिए. तिलक बाजार केमिकल मार्केट के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने कहा कि डेवलपमेंट के बाद मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सरकार को लेनी चाहिए. खारी बावली किराना मार्केट के जरनल सेक्रेटरी ललित गुप्ता ने कहा कि चांदनी चौक का जिस तरीके से री-डेवलपमेंट हुआ, उस तर्ज पर नहीं होना चाहिए. कारोबारी अजय अरोड़ा ने कहा कि बाजार में गंदगी रहती है. ट्रैफिक व्यवस्था गड़बड़ है. कोई सुविधा नहीं है. अब मार्केट के डेवलपमेंट से उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बाजार की सूरत बदलेगी. वह एक बार फिर काम करने का मन बनाएंगे.
मजदूरों के रोजगार पर संकट?
पुरानी दिल्ली के इस बाजार में तंग गालियां हैं. यहां ठेली, रिक्शा या मजदूर कंधों पर माल की ढुलाई करते हैं. यहां पांच हजार से ज्यादा दुकानें हैं. लगभग 1 से 2 हजार मजदूर काम करते हैं. कारोबारियों ने कहा कि जब डेवलपमेंट होगा तो इन मजदूरों के कामकाज पर भी असर पड़ना तय है और उनके कारोबार पर भी. ऐसे में सरकार को इस बारे में भी सोचना चाहिए.
मार्केट का इतिहास
इस मार्केट का इतिहास कई दशकों पुराना है. कारोबारी बताते हैं कि सन 1550 में शेरशाह सूरी के दरबारी ख्वाजा अब्दुल कुरैशी ने इस इलाके में दो बावलियां बनवाई थीं, जिनमें खारा पानी रहता था, तब से इसका नाम खारी बावली रखा गया. 1650 में शाहजहां की पत्नी ने यहां पर फतेहपुरी मस्जिद बनवाई, कई दुकानें भी बनवाईं, जहां ड्राइफ्रूट्स और मसालों का कारोबार होता था. इस बाजार में देश-विदेश से ड्राई फ्रूट्स और मसालों का आयात और निर्यात होता गया, जो अब तक जारी है.