2020 में कुल 13 पूर्णिमा पड़ रही हैं जिसमें से 9 फरवरी (रविवार) यानी आज की पूर्णिमा बेहद खास है. खगोलविदों का कहना है कि आज रात आसमान में साल का पहला सुपरमून दिखाई देगा. ये दशक का भी पहला सुपरमून है. सुपरमून के वक्त चांद पहले से ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देगा. पश्चिमी देशों के वैज्ञानिकों ने इसे 'स्नो मून' नाम दिया गया है. आइए आपको इस सूपरमून से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं और ये भी बताते हैं कि भारत में आप ये सुपरमून कब देख सकेंगे.
1. चंद्रमा की पृथ्वी से सामान्य दूरी 4,06,692 किमी होती है, जिसे अपोजी कहते हैं. पृथ्वी से इसकी न्यूनतम दूरी 3,56,500 किमी. होती है. इस पेरिजी कहते हैं. जिस वक्त चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम होती उसी दिन आसमान में सुपरमून नजर आता है.
2. सुपरमून के वक्त चांद अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आता है. इस दिन चंद्रमा आकार में करीब 14% बड़ा दिखाई देता है और इसकी चमक करीब 30% ज्यादा होती है.
3. नासा के अनुसार, सुपरमून का अस्तित्व पहली बार साल 1979 में सामने आया था. एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे 'पेरीजीन फुल मून' नाम दिया था.
4. 9 फरवरी के बाद साल 2020 के आखिरी सुपरमून मार्च, अप्रैल और मई के महीने में भी दिखाई दे सकते हैं. इसके बाद पूरे साल आसमान में सुपरमून नहीं देख पाएंगे.
5. नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि शुक्रवार शाम से लेकर सोमवार शाम तक आसमान में पूरा चांद नजर आएगा. इसी बीच रविवार देर रात ही सुपरमून देख सकेंगे.
6. TimeandDate.com की रिपोर्ट के मुताबिक सभी देशों में ये सुपरमून अलग-अलग समय पर दिखाई देने वाला है. पश्चिमी देशों में ये करीब रात 1 बजकर 03 मिनट पर नजर आएगा.
दुर्भाग्यवश चंद्रमा जब सुपरमून की अवस्था में होगा, उस वक्त भारत में दिन का वक्त होगा. इस वजह से शायद यहां लोग इसे न देख पाएं. यूएई में भी सुपरमून लगभग इसी वक्त दिखेगा.
7. हालांकि कुछ खगोलविद इसे सुपरमून मानने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि रविवार रात को दिखने वाला चांद एक फुल मून होगा न कि सुपरमून.
इस सुपरमून को आप लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए ऑनलाइन भी देख सकेंगे. नासा समेत कई वेबसाइटों पर इसे ऑनलाइन देखने की सुविधा होगी.
8. रिचर्ड नॉले ने कहा है कि 9 फरवरी की रात को आसमान में नजर आने वाला चंद्रमा सुपरमून नहीं होगा.