कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में अब तक ढाई लाख से भी ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. इसी बीच स्कॉटलैंड के 'स्कूल ऑफ लाइफ साइंस' ने शरीर में छिपे कोरोना वायरस की कुछ स्पष्ट तस्वीरें ली हैं. इन तस्वीरें में साफ पता चल रहा है कि कोरोना वायरस न सिर्फ आंतों को संक्रमित करता है, बल्कि वहां कई गुना तेजी से फैलता है.
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मानव शरीर में मौजूद आंत (इंटसटाइन) को संक्रमित करने वाला कोरोना वायरस यहां तस्वीरों सफेद रंग का दिखाई दे रहा है. शरीर में वायरस की पहचान करने के लिए शोधकर्ताओं ने अल्ट्रा पावरफुल माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया है.
शरीर में कोरोना वायरस की जानकारी देने वाली ये तस्वीरें तकरीबन 30 से 50 गीगाबाइट्स की हैं. यानी इनकी क्लियरिटी आईफोन से ली गई तस्वीरों से लगभग 500 से 1000 गुना ज्यादा बेहतर है.
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स्कूल ऑफ लाइफ साइंस में क्वारनटीन सेल बायोलॉजी के प्रोफेसर जेसन स्वैडलो ने बताया कि यह जानलेवा वायरस आंतों की कोशिकाओं को नुकसान पहंचाता है और वहां कई गुना तेजी से बढ़ता है.
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शोधकर्ताओं ने इस दौरान मानव आंत की कोशिकाओं के परंपरागत मॉडल को इस्तेमाल करते हुए परीक्षण ट्यूब में वायरस को सफलतापूर्वक विकसित किया है. इसके बाद कोशिकाओं पर वायरस की प्रतिक्रिया को मॉनिटर कर नया मॉडल पेश किया.
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शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 के एक तिहाई मरीज डायरिया जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी अनुभव करते हैं. उन्होंने बताया कि यह वायरस अक्सर मल के नमूनों में भी पाया जा सकता है.
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कोरोना वायरस के लक्षण रेस्पिरेटरी ऑर्गेन्स से जुड़े हैं. आमतौर पर यह वायरस खांसने या छींकने पर बाहर आए ड्रॉपलेट्स से फैलता है. इससे मरीजों में सांस लेने की तकलीफ, खांसी, ज़ुकाम और तेज बुखार जैसे लक्षण दिखने लगते हैं.
शोधकर्ताओं ने दावा किया कि तीन में से एक कोरोना संक्रमित में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल के लक्षण पाए जाते हैं. इसमें मतली और असामान्य मल जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं. श्वसन संबंधी समस्या के हल होने के लंबे समय बाद भी मानव मल में वायरस का पता लगाया जा सकता है.
इन सभी बातों से स्पष्ट होता है कि यह वायरस तथाकथित 'फेकल ओरल ट्रांसमिशन' यानी मल-मौखिक संचरण के माध्यम से भी इंसानों में फैल सकता है.
बता दें कि कोरोना वायरस के अब तक पूरी दुनिया में 35 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से ढाई लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. भारत में अब तक 46 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से डेढ़ हजार लोगों की जान गई है.