कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने से पहले ही उसे लेने की होड़ मच गई है. ब्रिटेन ने COVID-19 की वैक्सीन बना रही सनोफी (Sanofi) और जीएसके (GlaxoSmithKline) कंपनी के साथ 6 करोड़ डोज का करार किया है. कोरोना वायरस की अब तक किसी भी वैक्सीन को मंजूरी नहीं मिली है.
ब्रिटेन ने वैक्सीन की समझौते की शर्तों का खुलासा नहीं किया है. सनोफी और जीएसके ने अपने एक बयान में कहा कि अगर क्लिनिकल डेटा पॉजिटिव आते हैं तो उनके वैक्सीन को 2021 की शुरूआत में रेगुलेटरी मंजूरी मिल जाएगी. सनोफी और GSK ने किसी देश के साथ पहली बार अपनी प्रायोगिक COVID-19 वैक्सीन बेचने की डील की है. वहीं ब्रिटिश मंत्रियों ने इस वैक्सीन की जल्दी सप्लाई पर जोर दिया है.
ब्रिटेन के व्यापार मंत्री आलोक शर्मा ने कहा, 'ये भी एक तथ्य है कि इस वैक्सीन की अभी कोई गारंटी नहीं है लेकिन कारगर वैक्सीन की खोज के लिए ये जरूरी है कि हम वैक्सीन कैंडिडेट को जल्दी से जल्दी पाने की कोशिश करें.' आपको बता दें कि इस समय 20 से ज्यादा वैक्सीन अपने ह्यूमन ट्रायल में हैं.
ब्रिटेन ने पिछले हफ्ते भी BioNTech/Pfizer की प्रायोगिक वैक्सीन की 3 करोड़ की डोज का करार किया है. इसके अलावा ब्रिटेन ने वालनेवा के वैक्सीन की 6 करोड़ डोज की भी डील फाइनल की है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में बनाए जा रहे वैक्सीन की 10 करोड़ डोज के लिए ब्रिटेन एस्ट्राजेनेका के साथ पहले ही करार कर चुका है.
हालांकि अमीर देशों द्वारा जिस तरह बनने से पहले ही बड़ी मात्रा में वैक्सीन सुरक्षित की जा रही हैं, उससे गरीब देशों के लिए चिंताएं बढ़ गई हैं.
सनोफी और जीएसके की वैक्सीन का पहला क्लिनिकल ट्रायल सितंबर में शुरू होने की संभावना है. कंपनी ने कहा कि वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर उनकी यूरोपीय संघ, इटली और फ्रांस से भी बातचीत जारी है.