कोरोना वायरस से बचने के लिए बार-बार मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दी जा रही है. लेकिन लैंसेट पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट का दावा है कि कोरोना वायरस से बचने के लिए ये काफी नहीं है. ये रिपोर्ट 16 देशों की 170 स्टडीज के डाटा पर आधारित है.
स्टडी के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग कोरोना वायरस के खतरे को 3 फीसदी तक कम करती है. जहां एक मीटर की दूरी वायरस के प्रसार को 2.6 फीसदी तक कम कर सकती हैं, वहीं दो मीटर की दूरी इंफेक्शन के खतरे 50 फीसदी तक कम कर सकती है.
स्टडी में कहा गया है कि मास्क पहनने से Covid-19 का खतरा 3 फीसदी जबकि आंखों की सुरक्षा करने पर यह 5.5 फीसदी तक तक कम हो जाता है. हालांकि स्टडी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि चेहरे को ढंकने और सोशल डिस्टेंसिंग से वायरस फैलने की गति धीमी हो जाती है.
वहीं स्टडी में चेतावनी दी गई है कि फेस मास्क, गॉगल्स और सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह से सुरक्षित नहीं करते हैं. स्टडी के लेखक ने हेल्थकेयर वर्कर्स को ज्यादा सुरक्षा के लिए सर्जिकल मास्क की जगह रेस्पिरेटर्स पहनने का सुझाव दिया है.
दुनिया भर में कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग सहित कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. फ्रांस, चीन और हांगकांग में, एक मीटर दूरी के नियम के साथ हॉस्पिटैलिटी सेक्टर खोल दिए गए हैं, वहीं फ्रांस में फेस मास्क को सख्त रूप से अनिवार्य कर दिया गया है.
हालांकि यूके के हाउसिंग मिनिस्टर साइमन क्लार्क का कहना है कि दो मीटर की दूरी का नियम वैज्ञानिकों की सलाह पर आधारित था. उन्होंने Sky News से कहा, 'स्पष्ट रूप से हम जनता को सुरक्षित रखने के लिए दृढ़ हैं. हम सबसे अच्छी सलाह का पालन करते हैं जिसे हम लोगों पर लागू कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'एक-दूसरे से उचित दूरी बनाए रखने के लिए दो मीटर की दूरी की गाइडलाइन बिल्कुल सही है.'
पूरी दुनिया में सुरक्षा उपायों पर की गई इस स्टडी का मकसद ये पता लगाना था कि कौन सा उपाय वायरस के प्रसार को रोकने में ज्यादा असरदार है.