कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर एक राहत भरी खबर है. इसकी वैक्सीन कितनी कारगर है इस पर फैसला जून के महीने में ही आ जाएगा. यह बात ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जॉन बेल ने NBC न्यूज चैनल के 'Meet the Press' कार्यक्रम में कही. जॉन बेल कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाली टीम का नेतृत्व कर रहे हैं. जॉन बेल ने कहा, संभव है कि उनकी टीम को जून की शुरुआत तक यह पता चल जाए कि कोरोना की वैक्सीन प्रभावी है या नहीं.
बेल ने कहा, 'मजबूत एंटीबॉडी बनाने में यह वैक्सीन काफी प्रभावी हो सकती है फिर भी यह कितनी सुरक्षित होगी, यह सुनिश्चित करना एक बड़ा मुद्दा है. वैक्सीन के संबंध में जो भी हो रहा है, उसे लेकर हम क्लिनिक में बहुत सावधानी बरतने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस पर निगरानी रखे हुए हैं और जो भी परिणाम आता है, उसके लिए पूरी तरह सतर्क हैं.'
बेल ने संदेह जताते हुए कहा, 'कोरोना वायरस फ्लू की गति से अपना रूप नहीं बदल रहा है, इसलिए इस वैक्सीन की मौसम के हिसाब से काम करने की संभावना ज्यादा है.' शोधकर्ताओं को अपने दो चरण के परीक्षणों से पर्याप्त डेटा मिलने की उम्मीद है.
ऑक्सफोर्ड का यह समूह महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों के साथ-साथ इसकी प्रभावी और सुरक्षित वैक्सीन खोजने की दिशा में लगातार काम कर रहा है.
NBC न्यूज के अनुसार, जनवरी से अब तक 240,000 से अधिक लोग COVID-19 से मर चुके हैं जबकि दुनिया भर में 34 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं.
बेल ने यह नहीं बताया कि यह वैक्सीन पूरी तरह से कब तक बन जाएगी लेकिन उन्होंने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता इसका सुरक्षित होना है. उन्होंने बताया कि ऑक्सफोर्ड ग्रुप इसकी प्रीक्लिनिकल स्टडी पहले ही कर चुका है और इसकी सुरक्षा को लेकर बड़ी सावधानी से आगे बढ़ रहा है.
बेल ने कहा, 'यह हमारे लिए एक बड़ा मुद्दा है. जहां एक तरफ हम इसे जल्दी से जल्दी विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं वहीं हम इसकी सुरक्षा को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं कर सकते.'
दुनिया भर में कई परीक्षणों और वैक्सीन के लिए काम करने वाले बेल का कहना है कि अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन सफलतापूर्वक आ जाती है तो ऑक्सफोर्ड समूह यह सुनिश्चित करेगा कि यह व्यापक रूप से सबके पास पहुंचे. बता दें कि ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन का उत्पादन भारत में किया जाएगा.
बेल ने कहा, 'अगर वैक्सीन सफल होती है तो हम चाहेंगे कि दुनिया भर में इसकी पहुंच हो. ऑक्सफोर्ड टीम यह सुनिश्चित करना चाहती है विकासशील देश भी यह वैक्सीन बनाने में पीछे ना रहें.