दुनिया भर में जारी कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल के नतीजे आने लगे हैं. इसके साथ ही वैक्सीन ट्रायल के अगले चरण में पहुंचने लगी हैं. अमेरिका की मॉडर्ना इंक के बाद अब फाइजर (Pfizer Inc) भी अपने तीसरे और अंतिम चरण के ट्रायल में पहुंच गई है. फाइजर ने जर्मनी की बायोटेक फर्म BioNTech के साथ साझेदारी की है. फाइजर की वैक्सीन कैंडिडेट का नाम BNT162b2 है.
मॉडर्ना की तरह फाइजर की कैंडिडेट भी मैसेंजर आरएनए वैक्सीन (mRNA vaccine) पर आधारित है. इस तरह की वैक्सीन मैसेंजर आरएनए को संशोधित कर कोशिकाओं के जरिए वायरस के उस हिस्से को दोबारा बनाती हैं जिन्हें पहचानना कठिन होता है.
समय की बचत के लिए फाइजर अपने वैक्सीन का एक साथ दो चरणों में ट्रायल करेगी. मॉडर्ना की तरह इस वैक्सीन का ट्रायल 30,000 लोगों पर किया जाएगा. ये ट्रायल 18 से 85 साल के लोगों पर किया जाएगा और ये ट्रायल सिर्फ अमेरिका में नहीं बल्कि दुनिया भर में 120 जगहों पर किया जाएगा.
अगर ये वैक्सीन अपने अंतिम ट्रायल में सफल होती है तो फाइजर-बायोएनटेक इस साल अक्टूबर तक अमेरिकी ड्रग रेगुलेटर के पास इसे मंजूरी के लिए भेजेंगे. मंजूरी मिलने के बाद कंपनी की योजना इस साल के अंत तक वैक्सीन के 10 करोड़ डोज तैयार करने की है.
कहां तक पहुंची भारत की वैक्सीन?
भारत में कोरोना वायरस की कई वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और अहमदाबाद स्थित कैडिला की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जारी है. इसके अलावा भारत में कोरोना वायरस की छह अन्य वैक्सीन भी बनाई जा रही हैं जो अपने प्री-क्लिनिकल ट्रायल में हैं. प्री-क्लिनिकल ट्रायल में वैक्सीन का टेस्ट छोटे जानवरों पर किया जाता है.
भारत बायोटेक और कैडिला दोनों एक दूसरे के उम्मीदवार का ट्रायल कर रहे हैं. भारत बायोटेक ने अपने दूसरे वैक्सीन कैंडिडेट के लिए अमेरिका की थॉमस जेफरसन यूनिवर्सिटी के साथ हाथ मिलाया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस समय 150 वैक्सीन अपने विभिन्न चरण के ट्रायल में हैं लेकिन इसमें से कुछ वैक्सीन ही अभी एडवांस स्टेज पर पहुंच सकी हैं.