कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान लोगों में एरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपंसुकता) की समस्या काफी बढ़ गई है. एक शोध में ऐसा दावा किया गया है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लॉकडाउन में बहुत ज्यादा स्ट्रेस और एल्कोहल की वजह से ये समस्या बढ़ी है.
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'सुपर ड्रग ऑनलाइन डॉक्टर' के मुताबिक, पिछले महीने की तुलना में 'एरेक्टाइल डिसफंक्शन सर्विस' की मांग में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसलिए इसमें कोई दोराय नहीं कि लॉकडाउन के कारण घर में कैद लोगों के लिए यह बड़ी दिक्कत बन चुकी है.
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इतना ही नहीं, गूगल ट्रेंड का डेटा भी इस बात की ओर इशारा करता है कि ऑनलाइन सर्च में नपुंसकता को लेकर लगातार जानकारियां खंगाली जा रही है. पिछले 12 महीनों की तुलना में ये दिक्कत सबसे ज्यादा हो सकती है. सुपर ड्रग के जनरल प्रैक्टिशनर डॉक्टर जो विलियम ने बताया कि तनाव, थकान, बेचैनी, धूम्रपान और बहुत ज्यादा एल्कोहल की वजह से ऐसी समस्या बढ़ सकती है.
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वैसे तो एरेक्टाइल डिसफंक्शन से मुक्ति पाने के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन उससे पहले इसके कारण को समझना जरूरी है. जरूरी नहीं कि इसका इलाज सिर्फ दवाओं से ही संभव है. आप अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर इससे निजात पा सकते हैं.
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1. मोटापाहेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा वजन के कारण हृदय रोग, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रोल बढ़ने की खतरा रहता है. इन कारणों से भी एरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 42 इंच से ज्यादा कमर वाले 50 प्रतिशत लोगों एरेक्टाइल डिसफंक्शन की संभावना होती है.
2. धूम्रपानसिगरेट आपके फेंफड़ों को खराब करने के साथ-साथ एरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए भी जिम्मेदार होती है. रेस्पिरेटरी सिस्टम को खोखला करने वाले इस धूएं का केमिकल बॉडी के नेचुरल स्टिम्यूलेशन प्रोसेस को बाधित करता है.
3. डाइट
एनएचएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंसान के गलत खान-पान की आदतों से भी एरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या हो सकती है. अपनी डाइट में ज्यादा पोषक तत्व वाले फल, सब्जियां, साबुत अनाज और मांस मछली को शामिल करें.
4. वॉकहार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रोजाना 20 मिनट पैदल चलने ले एरेक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा 41 प्रतिशत तक कम हो सकता है. बीच की उम्र में एक्सरसाइज के जरिए भी सेक्सुअल परफॉर्मेंस को बेहतर बनाया जा सकता है.
5. स्ट्रेसतनावग्रस्त या बेचैनी महसूस करने वाले लोग भी इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. जबकि इस समस्या को काउंसलिंग या कोग्नोटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) के जरिए ठीक किया जा सकता है. तनाव मुक्त रहने के लिए आप कई दूसरी एक्टिविटीज का सहारा ले सकते हैं.