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इबोला की इस दवा का कोरोना पर असर! इलाज के लिए खोजा नया तरीका

aajtak.in
  • 03 जून 2020,
  • अपडेटेड 7:02 AM IST
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कोरोना वायरस के इलाज में अब तक रेमडेसिवीर दवा को ही सबसे कारगर माना जा रहा है. मरीजों पर इसका असर देखने के बाद इसे बनाने वाली कंपनी गिलियड इसे और आसानी से लेने के तरीके पर विचार कर रही है. कंपनी ने एक बयान जारी कर बताया कि वह रेमडेसिविर का उपयोग करने के अन्य तरीके खोज रही है और इसके लिए इनहेलर पर रिसर्च की जा रही है.

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कंपनी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मरदाद पारसी ने  Wall Street न्यूजपेपर को दिए एक इंटरव्यू में कंपनी की योजनाओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रेमडेसिविर के इंजेक्शन के साथ-साथ इसका पाउडर बनाने पर खोज की जाएगी ताकि इसे इनहेलर के जरिए लिया जा सके.

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रेमडेसिविर को गोली के रूप में नहीं दिया जा सकता है क्योंकि इसकी केमिकल की परत लिवर को खराब करती है. इस दवा को इंट्रावेनस (IV) रूप में सिर्फ अस्पतालों के द्वारा ही दिया जा सकता है. 

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गिलियड इस चीज पर स्टडी कर रही है कि रेमडेसिविर के मौजूदा IV फॉर्मूलेशन को किस तरह पतला कर नेबुलाइजर के जरिए लिया जा सकता है. कोरोना वायरस फेफड़ों पर हमला करता है, इसलिए नेबुलाइजर के जरिए रेमडेसिवीर दवा को फेफड़ों तक सीधा पहुंचाने पर काम किया जा रहा है. इससे कोरोना के उन मरीजों का भी जल्द इलाज हो सकेगा जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं.

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अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी जेफरीज के विश्लेषक माइकल यी ने कहा, 'लोगों को उम्मीद है कि दवा का इनहेलर जल्द आ जाएगा.' हालांकि अभी इसकी खोज शुरुआती चरण में है. उन्होंने कहा कि इनहेलर की मांग सीमित हो सकती है क्योंकि वायरस से संक्रमित कई लोगों को बहुत कम इलाज की जरूरत पड़ती है.

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माइकल ने कहा कि गिलियड रेमडेसिविर दवा की आपूर्ति करने की अपनी क्षमता को और बढ़ा रही है और इसके कमर्शियल कीमत को लेकर दुनिया भर की सरकारों से बातचीत चल रही है.

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इससे पहले गिलियड ने बताया था कि अस्पताल में भर्ती और हल्के लक्षण वाले कोरोना के मरीजों पर IV रेमडेसिवीर के ट्रायल का सही असर दिखा है.

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