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क्यों वेस्टर्न से बेहतर है इंडियन टॉयलेट? कैंसर भी रहता है कोसों दूर

aajtak.in
  • 18 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST
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वेस्टर्न स्टाइल टॉयलेट आने के बाद बाजार में इंडियन पॉट की मांग काफी कम हो गई है. हालांकि कई घरों में लोग आज भी सिर्फ इंडियन पॉट ही इस्तेमाल करते हैं. लोगों को मानना है कि वेस्टर्न टॉयलेट कम्फर्टेबल जरूर है, लेकिन इसके कई नुकसान भी हैं. जबकि इंडियन पॉट इस्तेमाल करने के कई फायदे हैं.

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इंडियन टॉयलेट आपको फिट बनाए रखने में मददगार है. इसके जरिए होने वाली एक्सरसाइज का असर आपने पूरे शरीर पर दिखता है.

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इस पर 10-15 मिनट मिनट बैठना जिम में स्क्वाट लगाने से कम नहीं है. इससे आपकी बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा रहता है.

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वेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से इंसान के पेट पर जरा भी दबाव नहीं पड़ता, जबकि इंडियन पॉट इस्तेमाल करते वक्त आपके पेट पर दबाव पड़ता है. ये आपकी डाइजेशन और पेट की सफाई दोनों के लिए अच्छा है.

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दफ्तर या घर में बने वेस्टर्न टॉयलेट में पेपर और पानी की बर्बादी बहुत ज्यादा होती है.

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जबकि इंडियन टॉयलेट में न तो पेपर देखने को मिलते हैं और पानी की भी पर्याप्त जरूरत होती है.

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आपको जानकार शायद थोड़ी हैरानी होगी कि गर्भवती महिलाओं के लिए भी इंडियन टॉयलेट को ज्यादा बेहतर बताया गया है.

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इस पॉट पर महिलाएं स्क्वाट्स लगाने की पोजिशन में आती हैं जिससे नैचुरल डिलीवरी की संभावना काफी बढ़ जाती है.

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इंडियन टॉयलेट के इस्तेमाल से कब्ज, एपेंडिसाइटिस और पेट में होने वाले कैंसर की संभावनाएं भी काफी कम हो जाती हैं.

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ये सभी बातें जानने के बाद भी बाजार में वेस्टर्न टॉयलेट लोगों की पहली पसंद बना हुआ है.

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