कोरोना वायरस वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. अमेरिका की फार्मास्यूटिकल कंपनी Moderna Inc की वैक्सीन के 16 बंदरों पर हुए एक लैबोरेटरी टेस्ट में बेहतरीन नतीजे मिले हैं. ट्रायल में वैक्सीन ने वायरस से सफलतापूर्वक बचाव किया है. इस एक्सपेरिमेंट के बाद इंसानों पर इसके सफल होने की उम्मीद और बढ़ गई है.
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मॉडर्ना का दावा है कि वैक्सीन के दो इंजेक्शन दो अलग-अलग स्तरों पर वायरस
के भारी जोखिम से बचाव कर सकते हैं. यह स्टडी मंगलवार को 'न्यू इंग्लैंड
जर्नल ऑफ मेडिसिन' में प्रकाशित हुई है. बंदरों को वैक्सीन दिए जाने के बाद
उनमें वैक्सीन का कोई साइडइफेक्ट भी नहीं नजर आया है. मॉडर्ना की इस
वैक्सीन का नाम mRNA-1273 है.
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मॉडर्ना की यह वैक्सीन बंदरों के नाक
और फेफड़ों में वायरस की कॉपी बनने से रोकने में भी सफल रही है. स्टडी में
दावा किया गया है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद बंदरों को वैक्सीन के
हाई डोज दिए गए थे. इसके ठीक दो दिन बाद ही उनकी नाक में वायरस की कॉपी
बनने की समस्या खत्म हो गई.
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इतना ही नहीं, वैक्सीन लगने के बाद दो
अलग-अलग ग्रुप के 7-8 बंदरों के फेफड़ों में भी वायरस की कॉपी बनते नहीं
देखा गया है. सभी 16 बंदरों में बचाव के कुछ ना कुछ संकेत देखने को मिले
हैं. दोनों ग्रुप के बंदरों के फेंफड़ों में वैक्सीन की वजह से मामूली सूजन
आई थी.
चूंकि मॉडर्ना ने सोमवार को ही 30,000 लोगों पर वैक्सीन का
अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल शुरू किया है, यह डेटा शोधकर्ताओं का उत्साह
बढ़ाएगा. ट्रायल के तीसरे चरण में वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा की जांच की
जाएगी. इसके बाद नवंबर या दिसंबर से वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू हो सकता
है.
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अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन वायरल आरएनए के रूप में
जेनेटिक मैटेरियल का इस्तेमाल कर रही है. इसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली
को अटैकिंग मोड में तब्दील करने उद्देश्य से डिजाइन किया गया. ताकि इम्यून
से बनने वाले टी-सेल्स वायरस को टारगेट बना सकें.
बंदरों के बाद अब
इंसानों पर इस वैक्सीन का रिजल्ट देखना दिलचस्प रहेगा. इस वैक्सीन को बनाने
के लिए अमेरिकी सरकार 70 अरब से ज्यादा (955 मिलियन डॉलर) की मदद दे रही
है. मॉडर्ना ने बताया कि देश के चारों ओर फैले हुए सात दर्जन से ज्यादा
परीक्षण स्थलों में से पहली बार जॉर्जिया के सवाना में वैक्सीन को टेस्ट
किया गया था. यहां अच्छे परिणाम मिलने के बाद ही शोधकर्ताओं में वैक्सीन को
लेकर उम्मीद बढ़ी थी.
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अगले महीने ऑक्सफोर्ड ह्यूमन ट्रायल के अगले
चरण की टेस्टिंग करेगा. अगर सब सही चलता रहा तो सितंबर में जॉनसन्स एंड
जॉनसन्स और अक्टूबर में नोवावैक्स की स्टडी होगी. फाइजर आईएनसी भी 30,000
वॉलंटियर्स पर शोध करने का विचार कर रहा है.
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