दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन बनाने के दावे के बाद रूस अब बाकी दुनिया को भी वैक्सीन बनाने में मदद करना चाहता है. रूस के अधिकारियों ने CNN को बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर अमेरिका के ऑपरेशन वार्प स्पीड को सहयोग की पेशकश की है. ऑपरेशन वार्प स्पीड एजेंसी का गठन अमेरिका ने कोरोना के इलाज और कारगर वैक्सीन को लोगों तक जल्द पहुंचाने के लिए किया है.
अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका ने रूस से किसी भी तरह की मेडिकल मदद लेने ले इनकार कर दिया है. रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएनएन को बताया, 'रूस को लेकर अमेरिका अक्सर संदेह की स्थिति में रहता है और मुझे लगता है कि वैक्सीन, टेस्टिंग और उपचार जैसी तकनीक में हमारी मदद ना लेना भी उसी अविश्वास का नतीजा है.'
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कायले मैकनी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को रूस के वैक्सीन के बारे में जानकारी दे दी गई है. मैकनी ने कहा कि अमेरिका की वैक्सीन को तीसरे चरण के कठिन ट्रायल और उच्च मानकों से गुजरना होता है. एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका ने रूस की आधी-अधूरी वैक्सीन को कभी गंभीरता से नहीं लिया. अमेरिका के सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, 'रूस ने जैसी वैक्सीन बनाई है, वैसी वैक्सीन का इस्तेमाल हम बंदरों पर करते हैं.'
वहीं, रूस के अधिकारियों का कहना है कि वो अपनी वैक्सीन के बारे में जानकारी साझा करने के लिए तैयार है. इससे अमेरिकी दवा कंपनियां अपने देश में भी रूस की वैक्सीन बना सकती हैं. रूस पहले भी कह चुका है कि अमेरिका की कुछ कंपनियों ने रूस की वैक्सीन के बारे में जानने में दिलचस्पी दिखाई है लेकिन उसने इन कंपनियों का नाम नहीं लिया.
रूस का कहना है कि अमेरिका को हमारी वैक्सीन पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. Sputnik V वैक्सीन कई अमेरिकियों की जान बचा सकती है. रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएनएन से कहा, 'अगर हमारी वैक्सीन सबसे कारगर साबित होती है तो अमेरिका पर सवाल उठेंगे कि उसने इस विकल्प पर गहराई से विचार क्यों नहीं किया. वैक्सीन पर राजनीति क्यों की गई?'
अमेरिकी सरकार के एक सलाहकार और एक वरिष्ठ अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि अमेरिका ने रूस की कोरोना वैक्सीन का कोई सैंपल नहीं मांगा है. वैक्सीन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि रूस में अब इतनी बीमारी है कि वो आसानी से अपनी वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल कर सकते थे लेकिन उन्होंने बड़े पैमाने पर ये नहीं किया.
अमेरिकी अधिकारी ने कहा, 'वैक्सीन का कोई ट्रायल नहीं किया गया है. इस वैक्सीन पर उन्होंने बहुत कम काम किया है. ह्यूमन ट्रायल भी बहुत कम लोगों पर किया गया है. इससे ये पता नहीं चलता है कि ये वैक्सीन बड़ी आबादी पर कारगर साबित होगी या नहीं. ये डेटा पूरी तरह से असुरक्षित और अपर्याप्त है.'
अमेरिकी प्रशासन के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने रूस के वैक्सीन को मजाक बताते हुए कहा कि रूस ने अपने तीसरे चरण का ट्रायल पूरा नहीं किया है, इसलिए ना तो विश्व स्वास्थ्य संगठन और ना ही अमेरिका इसे गंभीरता से ले रहा है. रूस की वैक्सीन की तुलना में अमेरिका के अधिकारियों को चीन की वैक्सीन पर ज्यादा भरोसा है.
अमेरिकी सरकार के सलाहकार ने कहा, 'वैक्सीन की दौड़ में चीन जीत के सबसे ज्यादा करीब है. वैक्सीन की टेस्टिंग को लेकर चीन ज्यादा गंभीर है और वो पूरी जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभा रहा है. '
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि मौजूदा हालात का फायदा उठाने के लिए ही रूस ने जल्दबाजी में ये वैक्सीन लॉन्च की है. कोरोना वायरस की वजह से पुतिन पर जनता का बहुत ज्यादा दबाव था. पूर्व अधिकारी ने कहा, 'वैक्सीन के प्रभावी होने को लेकर वहां कोई भी पुतिन से सवाल करने की हिम्मत नहीं कर सकता.'