साल का आखिरी सुपरमून 7 मई 2020 (गुरुवार) को आसमान में नजर आने वाला है. अप्रैल में सुपरमून न देख पाने वालों के लिए यह आखिरी मौका है. इस दिन चांद अपने सामान्य आकार से कई कहीं ज्यादा बड़ा दिखाई देगा और उसकी चमक भी आमतौर पर दिखने वाले चांद से कहीं ज्यादा होगी.
वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप 7 मई को सुपरमून देखने से चूक गए तो इसके लिए आपको 27 अप्रैल 2021 तक इंतजार करना होगा. गुरुवार को दिखने वाले इस सुपरमून को वैज्ञानिकों ने 'सुपर फ्लॉवर मून' नाम दिया है. इससे पहले अप्रैल में दिखाई दिए सुपरमून को 'पिंक मून' नाम दिया गया था.
बता दें कि इस सुपरमून का यूनिवर्सल टाइम सुबह के वक्त होने के कारण ही इसे 'सुपर फ्लॉवर मून' नाम दिया गया है, क्योंकि यह समय फूलों के खिलने का होता है.
नासा के वज्ञानिकों ने कहा, 'इस बार सुपरमून देखने के लिए लोगों को काफी समय मिलेगा. उनका कहना है कि 7 मई दिखने वाले सुपरमून को गुरुवार से लेकर अगले दिन शुक्रवार तक देखा जा सकेगा. चंद्रोदय और चंद्रास्त के वक्त सुपरमून का नजारा सबसे खास होगा.'
भारत में किस वक्त दिखेगा सुपरमून?
'ट्रैवल प्लस लीज़र' की रिपोर्ट के मुताबिक, दो दिन बाद यानी 7 मई को आसमान में दिखने वाले सुपरमून का ग्लोबल टाइम सुबह 6 बजकर 45 मिनट बताया जा रहा है. लेकिन भारतीय समयनुसार यह सुपरमून आसमान में शाम को तकरीबन सवा चार बजे दिखना शुरू हो जाएगा.
रिपोर्ट के अनुसार, इस बार सुपरमून का रंग शुरुआत में थोड़ा गुलाबी रहेगा. इसके बाद इसका रंग थोड़ा संतरी और हल्का पीला भी हो सकता है.
कब दिखता है सुपरमून?
चंद्रमा की पृथ्वी से सामान्य दूरी 4,06,692 किमी होती है, जिसे अपोजी कहते हैं. पृथ्वी से इसकी न्यूनतम दूरी 3,56,500 किमी. होती है. इस पेरिजी कहते हैं. जिस वक्त चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी सबसे कम होती उसी दिन आसमान में सुपरमून नजर आता है.
क्यों खास होता है सुपरमून?
सुपरमून के वक्त चांद अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आता है. इस दिन चंद्रमा आकार में करीब 14% बड़ा दिखाई देता है और इसकी चमक करीब 30% ज्यादा होती है.
नासा के अनुसार, सुपरमून का अस्तित्व पहली बार साल 1979 में सामने आया था. एस्ट्रोनॉमर्स ने इसे 'पेरीजीन फुल मून' नाम दिया था.
7 मई को नजर आने वाले सुपरमून को आप लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए ऑनलाइन भी देख सकेंगे. नासा समेत कई वेबसाइटों पर इसे ऑनलाइन देखने की सुविधा होगी.