ट्यूनिशिया की एक अदालत ने कोरोना वायरस के कहर को कुरान की आयत से जोड़ने पर एक महिला ब्लॉगर को 6 महीने की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. महिला ब्लॉगर ने फेसबुक पर एक मजाकिया पोस्ट को कुरान की आयत की तरह लिखा था.
27 साल की एमना चारगुई को फेसबुक पर डाले गए 'द कोरोना सूरह' नाम के इस मजाकिया पोस्ट के चलते धर्म का अपमान और भावनाओं को उकसाने के तहत दोषी पाया गया है. चारगुई को फिलहाल कस्टडी में नहीं रखा गया है. उन्हें फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए समय दिया गया है.
रॉयटर्स को दिए अपने बयान में चारगुई ने कहा, 'ये बिल्कुल अन्याय है. इससे साबित होता है कि यहां अपनी बात कहने के लिए कोई आजाद नहीं है.' बता दें कि चारगुई ने मई में ये पोस्ट शेयर किया था. उनकी इस पोस्ट पर कुछ रूढ़ीवादी सोशल मीडिया यूजर भड़क उठे और सजा की मांग करने लगे.
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नौ साल पहले लोकतंत्र की शुरुआत करने वाले ट्यूनीशिया में समय-समय पर धर्मनिरपेक्ष और इस्लामिक राजनीतिक के बीच ध्रुवीकरण होता रहा है. 2011 की अरब क्रांति के बाद ट्यूनीशिया ने तानाशाही को सत्ता से बेदखल कर निष्पक्ष चुनाव और वास्तविक स्वतंत्रता के मार्ग को चुना था.
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कोर्ट के प्रवक्ता मोहसिन डाली ने कहा कि चारगुई को धर्म और नस्लों के बीच नफरत भड़काने के तहत दोषी माना गया है. जबकि आलोचकों का कहना है कि चारगुई को दमनकारी नीति का शिकार बनाया गया है.
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एक गैर सरकारी संगठन (NGO) 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने कहा, 'अभियोजन पक्ष ने चारगुई के वकील को कोर्ट में आने की अनुमति तक नहीं दी, जहां उनसे धर्म में विश्वास और मानसिक स्थिति से जुड़े सवाल किए जा रहे थे.'
NGO ने यह भी बताया कि मैसेज के जरिए लोग चारगुई को जान से मारने और रेप करने की धमकियां दे रहे हैं और अभी तक अधिकारी इस मामले में कार्रवाई करने या खतरों की जांच करने में असफल रहे हैं.
उन्होंने बताया कि फेसबुक पर एक मजाकिया पोस्ट करने के चलते किसी को यूं ही जेल में डाल देना स्वीकार नहीं किया जा सकता. ऐसा करने से जो लोग सोशल मीडिया पर विवादास्पद मामलों पर विचार व्यक्त करने का साहस करते हैं, उनके लिए जोखिम बढ़ेगा.
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हम अधिकारियों से चारगुई पर लगाए गए आरोपों को तुरंत समाप्त करने की सिफारिश कर रहे हैं. साथ ही उन्हें सुरक्षा प्रदान करने और मौत, रेप जैसी धमकियां देने वालों के खिलाफ जांच करने की अपील कर रहे हैं.