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क्यों खास है 29 फरवरी? नहीं मनाया लीप ईयर तो संकट से गुजरेगी धरती

aajtak.in
  • 29 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 4:37 PM IST
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इस वर्ष 29 फरवरी की तारीख को लीप ईयर के रूप में सेलिब्रेट किया जा रहा है. Google भी डूडल बनाकर इस खास तारीख को सेलिब्रेट कर रहा है. लीप ईयर से जुड़ी कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं जिनके बारे में आप जरूर जानना चाहेंगे. लीप ईयर पहली बार कब और कहां शुरू हुआ इसके अलावा इसे खास दिन के रूप में सेलिब्रेट करने की वजह क्या है, आइए आपको बताते हैं.

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क्या है लीप ईयर?

हर 4 साल बाद आने वाले वार्षिक कैलेंडर में 365 की बजाय 366 दिन होते हैं, इसे लीप ईयर कहा जाता है. पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने में 365 दिन और करीब 6 घंटे लगाती है. ऐसा होने से हर चार साल में एक दिन अधिक हो जाता है. इसलिए हर 4 साल बाद फरवरी महीने में एक दिन अतिरिक्त जोड़कर समय और तारीख में संतुलन बनाने की कोशिश की जाती है.

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कब से मनाया जा रहा है लीप ईयर?-
ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार ग्रोगोरियन कैलेंडर के शुरू होने के बाद से ही लीप ईयर को काउंट किया जा रहा है. प्रभु यीशु के जन्म से ही ग्रोगोरियन कैलेंडर को सार्वजनिक रूप से अपनाया गया है.

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लीप ईयर न मनाएं तो क्या होगा?

समय चक्र के बीच सही तालमेल बैठाने की वजह से लीप ईयर मनाना जरूरी माना जाता है. पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाने के लिए 365 दिन और करीब 6 का समय लेती है. इस तरह देखा जाए तो इन्हीं अतिरिक्त 6 घंटों को मिलाकर चार साल में 24 घंटे यानी एक दिन पूरा होता है.

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अगर इन 6 घंटों को समय चक्र में काउंट न किया जाए तो दुनिया 100 वर्ष बाद 25 दिन आगे निकल जाएगी. इसके कारण वैज्ञानिक मौसम का सही अंदाजा नहीं लगा पाएंगे. साथ ही पृथ्वी से जुड़ी खगोलीय घटनाओं की भी सही जानकारी नहीं होगी.

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