हिंदू शास्त्र में किसी भी काम की शुरुआत से पहले शुभ मुहूर्त देखने की परंपरा है. कभी-कभी कुछ ऐसे नक्षत्र बन जाते हैं कि उनमें कुछ विशेष कार्यों का करना निषेध होता है. कुछ ऐसा ही पंचक के दौरान होता है. ज्योतिषशास्त्र में पंचक को बहुत अशुभ माना गया है. इस दौरान कुछ खास काम करने की मनाही है. इसे अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का योग माना जाता है.
नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को पंचक कहा जाता है. जब चन्द्रमा, कुंभ और मीन राशि पर रहता है, तब उस समय को पंचक कहते हैं. आज यानी 3 दिसंबर से पंचक की शुरुआत हो चुकी है. पंचक के दिन किसी कार्य की शुरुआत करने से व्यक्ति को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ता है.
क्या है पंचक
धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से रेवती तक के नक्षत्रों को पंचक नक्षत्र कहा जाता है. आज धनिष्ठा नक्षत्र के साथ पंचक की शुरुआत हो चुकी है. पंचक इन 5 खास नक्षत्र में ही लगता है जो कि धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं. इस दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही है.
पंचक का समय
पंचक का प्रारंभ- 3 दिसंबर 12 बजकर 58 मिनट पर
पंचक की समाप्ति- 8 दिसंबर 1 बजकर 29 मिनट पर (रात्रि)
पंचक के दौरान सावधानियां
इन दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करने चाहिए. इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का खतरा रहता है. इन दिनों कोई शुभ काम भी करने से बचना चाहिए.
पंचक में अगर किसी की मृत्यु हो गई है और उसका अंतिम संस्कार अगर ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकता है. इसके बारे में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है.
गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक के दौरान अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और जब अंतिम संस्कार कर रहे हों तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें.
पंचक के दौरान जब रेवती नक्षत्र चल रहा हो, उस समय घर की छत नहीं बनानी चाहिए, ऐसी मान्यता है. इससे धन हानि और घर में क्लेश होता है.
पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा मानी गई है.
पंचक में चारपाई बनवाना अच्छा नहीं माना जाता है. विद्वानों के अनुसार ऐसा करने से घर में कोई बड़ा संकट खड़ा होता है.
पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो, उस समय घास, लकड़ी आदि जलने वाली वस्तुएं इकट्ठी नहीं करनी चाहिए.