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US: कोरोना वैक्सीन लगने के बाद 36 लोगों में मिली दुर्लभ समस्या, एक डॉक्टर की भी हुई मौत

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 10 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 5:50 PM IST
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अमेरिका में कम से कम 36 लोगों को कोरोना वायरस वैक्सीन लगवाने के बाद दुर्लभ ब्लड डिसऑर्डर हो चुका है. इस खतरनाक डिसऑर्डर को थ्रोंबोसाइटोपेनिया कहा जाता है. हालांकि ब्लड प्लेटलेट्स को खत्म कर देने वाली ये कंडीशन दुर्लभ है. अब तक 43 मिलियन डोज में सिर्फ 36 लोग इस कंडीशन से प्रभावित हुए हैं. इस डिसऑर्डर के चलते मियामी में रहने वाले डॉक्टर जॉर्ज माइकल की मौत हो चुकी है. 

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इसके अलावा 72 साल की एक महिला को कहा गया है कि वे अपने बेड से अगले एक हफ्ते तक ना निकले क्योंकि वे भी इस डिसऑर्डर के चलते गंभीर हालातों में हैं और माइकल की तरह उनका भी ब्रेन हैमरेज हो सकता है. हालांकि डॉ माइकल को अगर छोड़ दिया जाए तो इसके अलावा बाकी लोग ट्रीटमेंट के बाद ठीक हो चुके हैं.  

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न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अमेरिका में 14 दिसंबर से कोरोना वैक्सीन की शुरुआत हुई थी और 31 जनवरी तक अब तक 36 लोगों में इस ब्लड डिसऑर्डर की समस्या सामने आ चुकी है. हालांकि मोर्डेना और फाइजर वैक्सीन के ट्रायल के दौरान इस ब्लड डिसऑर्डर का कोई केस सामने नहीं आया था.  डेलीमेल के साथ बातचीत में फाइजर कंपनी का कहना है कि वे इस मामले में डॉ माइकल की मौत की जांच कर रहे हैं. डॉक्टर माइकल की पत्नी का कहना है कि दिसंबर से पहले तक उनके पति का स्वास्थ्य अच्छा था. उनका ये भी कहना था कि डॉक्टर माइकल की मौत में शत प्रतिशत वैक्सीन का योगदान है. 

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बता दें कि डॉक्टर माइकल को 18 दिसंबर को फाइजर वैक्सीन दी गई थी. उन्होंने उस दौरान किसी तरह का नेगेटिव रिएक्शन नहीं दिया था. हालांकि तीन दिनों बाद उन्हें अपने शरीर पर लाल रंग के चकत्ते दिखे थे. ये स्पॉट्स इस बात के संकेत थे कि माइकल के शरीर में अंदरुनी ब्लीडिंग हो रही थी. जब उन्होंने मियामी के एक अस्पताल में चेकअप कराया तो उनके शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या खतरनाक स्तर पर शून्य हो चुकी थी.

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इंसानी शरीर में 150,000 से कम ब्लड प्लेटलेट्स होने पर थ्रंबोसाइटोपेनिया हो सकता है लेकिन डॉक्टर माइकल की कंडीशन बहुत ज्यादा खराब थी. उनकी प्लेटलेट्स को बढ़ाने के लिए ट्रांसफ्यूजन दिया गया और वे दो हफ्तों तक अस्पताल में संघर्ष करते रहे लेकिन उनकी आखिरकार ब्रेन हैमरेज से 16 दिनों बाद मौत हो गई थी. 

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