22 साल की एक साइंटिस्ट ने कहा है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन पर रिसर्च के लिए वह खुद कोरोना संक्रमित होने को तैयार है. सोफी रोज नाम की युवती का कहना है कि कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने के लिए वह अपनी मौत का छोटा सा खतरा ले सकती हैं.
सोफी ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन की रहने वाली हैं. उनका कहना है कि वैक्सीन मिलने से लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है, इसीलिए वह खतरा उठाने को तैयार हैं.
सोफी ने कोरोना वैक्सीन की रिसर्च में तेजी लाने के लिए 1DaySooner नाम का कैंपेन शुरू किया है और विभिन्न देशों से अपील कर रही हैं कि जल्दी वैक्सीन तैयार करने के लिए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल शुरू किया जाए. ह्यूमन चैलेंज ट्रायल के दौरान वैक्सीन लगवाने वाले वॉलेंटियर्स को जानबूझकर संक्रमित भी किया जाता है.
स्टैंफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट सोफी का कहना है कि अगर इलाज तलाशने की संभावना है तो वह अपना शरीर सौंपने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि एक दिन वह सोच रही थीं कि वह अपने बेस्ट फ्रेंड को किडनी डोनेट कर देंगी, लेकिन फिर ख्याल आया कि अगर वह कोरोना के ह्यूमन चैलेंज ट्रायल में शामिल होती हैं तो लाखों लोगों को फायदा होगा.
सोफी ने कहा कि दुनिया के तमाम देशों में कोरोना का असर हो रहा है. आर्थिक बर्बादी हो रही है और लाखों लोग मर रहे हैं या बीमार हैं. सोफी का कहना है कि अगर वैक्सीन के ट्रायल से ये पता चलता है कि ये सिर्फ युवाओं के लिए प्रभावी होगी, तब भी फायदा होगा. युवा आराम से काम पर जा सकेंगे और इकोनॉमी बेहतर हो सकेगी.
बता दें कि सोफी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल कैंसर रिसर्चर का काम कर रही थीं. लेकिन मई में 1DaySooner कैंपेन शुरू करने से पहले उन्होंने रिसर्चर का काम छोड़ दिया. अब तक 1DaySooner कैंपेन के साथ 151 देशों के 33 हजार वॉलेंटियर्स ह्यूमन चैलेंज ट्रायल में शामिल होने के लिए अपना नाम दे चुके हैं.