अमेरिका कोरोना वायरस का एक ऐसा स्ट्रेन तैयार कर रहा है जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ह्यूमन चैलेंज ट्रायल में किया जाएगा. वहीं, दुनिया में कई लोग ऐसे हैं जो पहले से ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की मांग कर रहे हैं ताकि कोरोना वैक्सीन जल्दी तैयार की जा सके. ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की वकालत करने के लिए कई कैंपेन भी ऑनलाइन चल रहे हैं. आइए जानते हैं क्या होता है ह्यूमन चैलेंज ट्रायल?
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल में जिन वॉलेंटियर्स को वैक्सीन की खुराक दी जाती हैं उन्हें वायरस से जानबूझकर संक्रमित भी कर दिया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि पता चल सके कि वैक्सीन की खुराक लेने वाले लोगों को वायरस बीमार करता है या नहीं. हालांकि, ह्यूमन चैलेंज ट्रायल के लिए सरकार को विशेष रूप से मंजूरी देने की जरूरत होती है.
आमतौर पर जो बीमारी जानलेवा नहीं है या जिन बीमारियों का इलाज आ चुका है, उनकी वैक्सीन तैयार करने के लिए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को सुरक्षित समझा जाता है. लेकिन जानलेवा बीमारी की स्थिति में वॉलेंटियर्स की जान के खतरे को देखते हुए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल का विरोध किया जाता है.
फिलहाल कोरोना वैक्सीन के जो ट्रायल हो रहे हैं उनमें वॉलेंटियर को वैक्सीन की खुराक दी जाती हैं और फिर उम्मीद की जाती है कि उनमें से कुछ वॉलेंटियर खुद ही वायरस से संक्रमित हो जाएं. लेकिन इस तरह वैक्सीन का प्रभाव पता करने में अधिक वक्त लगता है.
दवा कंपनी एस्ट्राजेनका और जॉनसन एंड जॉनसन ने भी कहा है कि जरूरत पड़ने पर ह्यूमन चैलेंज ट्रायल पर विचार किया जाएगा. हालांकि, कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना से संक्रमित किए जाने के बाद गंभीर बीमार पड़ने पर इलाज का कोई उपाय मौजूद नहीं है, इसलिए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल अनैतिक होगा.