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ब्रिटेन में कम हुए केस, ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन तैयार होने पर बड़ा संकट

aajtak.in
  • 24 जून 2020,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST
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ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से दुनिया को बड़ी उम्मीदें हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का उत्पादन भारत सहित कई देशों में हो रहा है. लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ही चेतावनी दी है जिससे दुनिया की उम्मीदों को झटका लग सकता है. इसके पीछे वजह है कि ब्रिटेन ने काफी हद तक कोरोना पर काबू पा लिया है. आइए समझते हैं, कैसे कोरोना के मामले घटने से वैक्सीन की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है-

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असल में ट्रायल के दौरान कई हजार स्वस्थ लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन वैक्सीन काम करती है या नहीं यानी लोगों के शरीर में पर्याप्त इम्यूनिटी पैदा करती है या नहीं, ठीक तरीके से ये पता लगाने के लिए ट्रायल में शामिल लोगों का कोरोना वायरस से एक्सपोज होना जरूरी है. चूंकि ब्रिटेन ने काफी हद तक कोरोना पर काबू पा लिया है, हो सकता है कि ट्रायल में शामिल ज्यादातर लोग वायरस से एक्सपोज ही न हों.

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ब्रिटेन 6.6 करोड़ की आबादी वाला देश है. छोटे देश होने की वजह से लॉकडाउन के बाद कोरोना पर काफी हद तक काबू कर लिया गया. हालांकि, ब्रिटेन उन देशों में भी शामिल है जहां कोरोना से सबसे अधिक मौतें हुई हैं. ब्रिटेन में कोरोना से 42 हजार 900 से अधिक लोग मर चुके हैं. लेकिन अब रोज आने वाले नए केस की संख्या 900 से 1200 के आसपास रह गई है. वहीं, अप्रैल से मई की शुरुआत तक ब्रिटेन में कोरोना के रोज 4 हजार से 6 हजार नए मामले सामने आ रहे थे.

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mirror.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस वैक्सीन ट्रायल का नेतृत्व कर रहीं प्रोफेसर सारा गिलबर्ट का कहना है कि ब्रिटेन में संक्रमण दर घटने की वजह से ये पता लगा पाने की 'संभावना काफी कम है' कि वैक्सीन असल में काम करती है या नहीं. ब्रिटेन की संसद की साइंस एंड टेक्नोलॉजी कमेटी से गिलबर्ट ने ये बात कही. 

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प्रोफेसर सारा गिलबर्ट ने कहा कि वैक्सीन लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षा देती है या नहीं, ये पता लगाने के लिए ट्रायल में शामिल लोगों का वायरस से एक्सपोज होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि ट्रायल में शामिल वॉलेंटियर में ऐसे लोगों की पर्याप्त संख्या होनी चाहिए जो वायरस से एक्सपोज हुए हैं. अगर ट्रायल में शामिल ज्यादातर वॉलेंटियर के संक्रमित लोगों के संपर्क में आने की संभावना घट जाती है तो वैक्सीन के प्रभावी होने के बारे में पता लगाने में मुश्किल और देरी हो सकती है.

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हालांकि, ऑक्सफोर्ड की टीम ब्रिटेन के अलावा अन्य देशों में भी वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर रही है. इसमें ब्राजील भी शामिल है जहां कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. प्रोफेसर सारा गिलबर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक चाहते हैं कि किसी अन्य देश से इतना डेटा मिल जाए कि वैक्सीन के प्रभावी होने का पता चल सके.

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सारा गिलबर्ट ने कहा कि ऑक्सफोर्ड की टीम ये नहीं जानती कि ब्रिटेन के अलावा किस देश से ट्रायल का पर्याप्त डेटा मिलने जा रहा है. इससे पहले ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन डेवलपमेंट टीम का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों में शामिल एड्रियन हिल ने भी कहा था कि ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन ट्रायल के सफल होने की उम्मीद 50 फीसदी ही है. (फोटो में एड्रियन हिल)

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