जनसेवा के नाम पर पद पाकर लोगों का रुतबा और रौब दोनों बदल जाता है लेकिन महाराष्ट्र के एक पार्षद के लिए 4 साल की पार्षदी में कुछ भी नहीं बदला. वह आज भी भुट्टे का ठेला लगाते हैं और उससे जो आमदनी होती है, उससे घर का खर्च चलाते हैं.
चांद शाह वाशिम जिले के कारंजा शहर के रहने वाले हैं. 4 साल पहले यह भारिप बहुजन महासंघ पार्टी की ओर से नगरनिगम का चुनाव जीतकर पार्षद बने. चांद शाह पिछले 10 साल से हाथ गाड़ी पर भुट्टे तो कभी चने बेचकर अपना घर चला रहे हैं.
चांद शाह के मोहल्ले के लोगों ने उन्हें नगर निगम के चुनाव में खड़े होने को कहा था. लोगों के बार-बार मिन्नतें करने के बाद वह चुनाव में खड़े हुए और जीत भी हासिल कर ली. चुनाव जीतने के बाद भी चांद शाह के अंदर पहली जैसी सादगी कायम रही. चांद शाह आज भी ठेले पर भुट्टे बेचते हैं.
चांद शाह से पूछा गया कि आप पार्षद हो और रास्ते पर भुट्टे बेचते हो, आपको शर्मिंदगी महसूस नहीं होती? तब चांद शाह ने कहा कि उन्हें कोई शर्म महसूस नहीं होती. पिछले 10 साल से हाथ गाड़ी पर भुट्टे और चने बेच रहा हूं. रोज 300 से 400 रुपये कमाने की बात पर चांद शाह ने कहा कि मैं पार्षद, मेरे वार्ड के लोगों के लिए बना हूं, खुद के लिए नहीं. चांद शाह ने कहा कि भ्रष्टाचार का कीड़ा भारत और समाज को खोखला कर रहा है, उसे खत्म करना है.
वार्ड के लोगों ने भी चांद शाह की तारीफ करते हुए कहा कि वह लोगों की समस्या सुलझाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं और एक ईमानदार पार्षद हैं.