जब वो हाल में लॉकडाउन के बाद बीते दिनों उन पैसों को बैंक में जमा कराने पहुंचे तो उन्हें यह जानकर झटका लगा कि जिसे वो अपनी जीवन भर की कमाई समझ रहे थे असल में वो साल 2016 में ही रद्दी हो चुकी थी क्योंकि नोटबंदी के बाद इन्हें अमान्य घोषित कर दिया गया था. इस दंपत्ति ने दावा किया था कि उन्हें नोटबंदी के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी.
यह दंपति पोथियामोआपुर में एक छोटे से घर में रहते हैं. सोमू नेत्रहीन हैं और उसकी पत्नी शारीरिक रूप से अक्षम है. दंपति के बच्चे नहीं हैं और वे अगरबत्ती और कपूर बेचकर गुजारा करते हैं.
इस दंपत्ति ने कहा था कि उनके पास टीवी, रेडियो कुछ नहीं है जिसकी वजह से उन्हें नोटबंदी की जानकारी नहीं मिल पाई. इस बात की जानकारी होने के बाद कलेक्टर ने अपनी निजी आमदनी से इस दंपत्ति की मदद की और 25 हजार रुपये का चेक दिया.