न्यूजीलैंड का वह ग्लेशियर आधे से ज्यादा पिघल चुका है जहां पर ऑस्कर जीतने वाली हॉलीवुड की फिल्मों 'लॉर्ड ऑफ द रिंग्स' और 'हॉबिट' की शूटिंग हुई थी. ये ग्लेशियर न्यूजीलैंड के साउदर्न एल्प्स में स्थित है. ऐसा हुआ ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से. करीब 78 वर्ग किलोमीटर की बर्फ पिघल चुकी है.
डेली मेल में प्रकाशित खबर के अनुसार यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के शोधकर्ताओं के टीम ने एक स्टडी करके बताया है कि न्यूजीलैंड के साउदर्न एल्प्स में स्थित लिल ग्लेशियर पिछले 400 सालों में 62 फीसदी से ज्यादा पिघल चुकी है.
इस स्टडी को करने वाले प्रमुख शोधकर्ता डॉ. जोनाथन कैरिविक ने बताया कि ये बड़ी हैरानी वाली बात है कि पास में ही अंटार्कटिका है. वहां पिछले 400 सालों में 11 फीसदी बर्फ पिघली, लेकिन न्यूजीलैंड के साउदर्न एल्प्स में ग्लेशियरों की बर्फ 62 फीसदी से ज्यादा पिघल चुकी है.
डॉ. जोनाथन कहते हैं कि बात सिर्फ इसी ग्लेशियर की नहीं है. साउदर्न एल्प्स के पहाड़ों पर ही 62 फीसदी से ज्यादा बर्फ का नुकसान हो चुका है. ये सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज की वजह से हो रहा है.
साउदर्न एल्प्स में सबसे ऊंचा पहाड़ है माउंट कुक. यह समुद्र तल से 12,218 फीट ऊंचा है. लेकिन इस ऊंचाई पर भी बर्फ टिक नहीं पाई. यहां भी बर्फ का काफी ज्यादा नुकसान हुआ है.
डॉ. जोनाथन कैरिविक ने बताया कि हमने साउदर्न एल्प्स के बर्फ की स्टडी तीन समय काल में की है. पहली 1600 से 1978, दूसरी 1978 से 2009 और तीसरी 2009 से 2019 तक.
जब वैज्ञानिकों ने इनके डेटा का एनालिसिस किया तो पता चला कि लिटिल आइस एज के बाद से बर्फ का पिघलना दोगुना हो गया है. पिछले 40 सालों में यह बहुत ज्यादा तेजी से पिघल रही है.
डॉ. जोनाथन ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ लोकल इफेक्ट्स भी इन ग्लेशियरों को पिघलाने का काम करते हैं. जैसे ग्लेशियर के आसपास कचरा जमा होना.
वैज्ञानिकों को लगता है कि साउदर्न एल्प्स के पहाड़ों पर जमी बर्फ के जमे रहने की अंतिम सीमा खत्म हो चुकी है. पिछले कुछ सालों से ये तेजी से पिघलना शुरू हो चुके हैं. इसमें ग्लोबल वार्मिंग भी अहम वजह है.
1970 से लेकर अब तक इस जगह की ली गई तस्वीरों का जब मिलान करते हैं तो भी बर्फ की चादरों में आई कमी साफ-साफ दिखाई पड़ती है. यही हालत सेंट पैट्रिक बे ग्लेशियर के साथ हुई थी.