उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद से एक ऐसी कहानी सामने आई है. जिसने कई लोगों के चेहरे पर खुशी और आंखों में खुशी के आंसू ला दिए. इस कहानी ने बता दिया कि इंसानियत से बड़ा कोई मजहब नहीं. 9 साल पहले खोया एक दिव्यांग बच्चा सोशल मीडिया (फेसबुक) के जरिए अपने माता-पिता से मिल गया. बेटे से मिलते ही मां ने अपने कलेजे के टुकड़े को गले से लगा लिया.
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इस दिव्यांग बच्चे की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. फर्रुखाबाद के सोता बहादुरपुर गांव के रहने वाले अब्दुल ताहीद का बेटा अब्दुल रज्जाक जो बोल और सुन नहीं सकता था. 9 साल पहले दिल्ली में अपने माता-पिता के साथ किसी रिश्तेदार के घर गया था. वहां पर वो खेलते- खेलते वह कहीं खो गया था.
परिजनों ने काफी खोजा लेकिन वो नहीं मिला. माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चल सका. परिजन भी थक हार कर बैठ गए और अपने बच्चे की सलामती की दुआ मांगने लगे.
दिव्यांग रज्जाक गलती से दिल्ली से ट्रेन में बैठकर पटियाला पहुंच गया था. भूखे-प्यासे सड़क पर रोते देख इस मासूम पर नजर पटियाला के रहने वाले गुरुनाम सिंह की पड़ी. उन्होंने इस बच्चे के परिजनों को ढूंढने की खूब कोशिश की. लेकिन कहीं कोई जानकारी नहीं मिली. फिर गुरुनाम सिंह ने बच्चे के पालन पोषण की जिम्मेदारी ली और दिव्यांग बच्चे को पटियाला के मूक-बधिर स्कूल में दाखिल कर दिया.
स्कूल में रज्जाक फेसबुक का इस्तेमाल करने लगा. एक दिन रज्जाक ने फेसबुक पर अपनी फोटो डाली. अचानक वो अपने बचपन के एक दोस्त से फेसबुक पर मिल गया. दोस्त ने उसकी फोटो को पहचाना और उसके परिजनों को इसके बारे में बताया. फोटो को देखते ही परिवार वाले अपने 9 साल पहले खोए बच्चे को पहचान गए.
रज्जाक के माता-पिता ने तुरंत ही पटियाला के स्कूल में संपर्क किया और स्कूल प्रबंधन ने रज्जाक को उसके परिजनों से मिलवा दिया. परिवार वाले अपने दिव्यांग बेटे को लेकर फर्रुखाबाद अपने घर पर आए. 9 साल पहले बिछड़े अपने कलेजे के टुकड़े को देख कर मां ने उसे गले से लगा लिया.
रज्जाक की मां सलमा बेगम का कहना है कि हम पंजाब के उस सिख परिवार के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने मेरे बच्चे को अच्छी तरह से रखा. हम भगवान का शुक्रिया भी अदा कर रहे हैं. वहीं पिता ताहीद अहमद ने कहा कि आज हमारा परिवार काफी खुश है. हम सब सरदार
गुरुमीत सिंह और स्कूल के प्रबंधक करतार सिंह को धन्यवाद देते हैं. स्कूल
की छुट्टियां खत्म होने के बाद हम उसे स्कूल भेजेंगे.