NASA का मार्स पर्सिवरेंस रोवर 18 फरवरी की रात 1 से 2 बजे के बीच मंगल ग्रह की सतह पर उतरेगा. इस बार अमेरिकी साइंटिस्ट अपने रोवर की लैंडिग जेजेरो क्रेटर में करा रहे हैं. ये अत्यंत दुर्गम इलाका है. पर्सिवरेंस रोवर की लैंडिंग को लेकर इस बार नासा के वैज्ञानिक थोड़े चिंतित हैं. क्योंकि मंगल ग्रह के वायुमंडल में एंट्री, वहां से रोवर का डिसेंट और उसके बाद लैंडिंग में करीब 7 मिनट का समय लगेगा. इन सात मिनटों तक नासा के साइंटिस्ट्स की सांसे धीमी चलेंगी. क्योंकि मंगल ग्रह पर पर्सिवरेंस की लैंडिंग की हर जानकारी धरती पर नासा वैज्ञानिकों को 11 मिनट 22 सेकेंड के बाद मिलेगी. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) इस समय करीब मंगल ग्रह से 4 लाख किलोमीटर दूर है. यह करीब 76,453 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. इसने धरती से अब तक 47 करोड़ से ज्यादा दूरी बना ली है. लेकिन असल दिक्कत तब शुरू होती है जब यह मंगल ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करने वाला होगा. आइए जानते हैं कि नासा का पर्सिवरेंस रोवर कैसे मंगल ग्रह पर लैंड करेगा. उसके हर स्टेज की जानकारी. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
क्रूज स्टेज सेपरेशन (Cruise Stage Separation): मंगल ग्रह के वायुमंडल से पहले मार्स मिशन स्पेसक्राफ्ट से क्रूज स्टेज अलग हो जाएगा. इसे मंगल के वायुमंडल तक पहुंचने में करीब 10 मिनट लगेंगे. पिछले साढ़े छह महीने से इस क्रूज स्टेज के अंदर ही पर्सिवरेंस रोवर और इन्जिन्यूटी हेलिकॉप्टर बंद हैं. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
वायुमंडल में प्रवेश (Atmospheric Entry): जब मंगल के वायुमंडल में प्रवेश करते ही नजारा वैसा होगा जैसे धरती के ऊपर से उल्कापिंड गुजरते हैं. घर्षण की वजह से आग के गोले जैसा दिखाई देगा पर्सिवरेंस. इस समय इसकी गति 76,453 किलोमीटर से घटाकर करीब 19,500 किलोमीटर कर दी जाएगी. वायुमंडल से गुजरते समय क्रूज स्टेज के हिस्से को करीब 1300 डिग्री सेल्सियस का तापमान बर्दाश्त करना होगा. इसके बाद शुरू होगी गाइडेड एंट्री. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
गाइडेड एंट्री (Guided Entry): इसका मतलब ये हो गया कि क्रूज स्पेसक्राफ्ट अब मंगल के वायुमंडल से नीचे जा चुका है. अब वह स्थिर हो रहा है. इस समय वह ठंडा भी हो रहा होगा. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
पैराशूट खुलेगा (Parachute Deployment): पर्सिवरेंस रोवर में नई रेंज ट्रिगर टेक्नोलॉजी पर आधारित पैराशूट डिप्लॉयमेंट सिस्टम लगा हुआ है. यह स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग से ठीक पहले यह जान लेता है कि पैराशूट कब खुलना है. पैराशूट मंगल की सतह से करीब 9 से 12 किलोमीटर ऊपर खुलेगा. इस समय इसकी गति 1512 किलोमीटर प्रतिघंटा की होगी. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
हीटशील्ड सेपरेशन (Heat Shield Separation): क्रूज स्टेज और उसके अंदर मौजूद पर्सिवरेंस रोवर और हेलिकॉप्टर को वायुमंडल की गर्मी से बचाने वाला हीट शील्ड अलग होगा. इस समय इसकी मंगल के सतह से ऊंचाई 6 से 8 किलोमीटर रहेगी. जबकि गति 579 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसके बाद स्पेसक्राफ्ट का राडार और टेरेन रिलेटिव नेविगेशन सॉल्यूशन काम करने लगेगा. यानी रोवर को किस तरह सुरक्षित सतह पर उतारना है, उसकी निगरानी यान में लगा एक कंप्यूटर करने लगेगा. ये दोनों काम 4 किलोमीटर की ऊंचाई पर होंगे. इस समय यान की गति 321 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
बैकशेल सेपरेशन (Back Shel Separation): एंट्री कैप्सूल का पिछला हिस्सा जो कि पैराशूट से जुड़ा रहेगा वो अब स्काई क्रेन (जिसके अंदर रोवर है) उससे अलग हो जाएगा. इस समय इसकी ऊंचाई होगी 2.09 किलोमीटर और गति होगी करीब 320 किलोमीटर प्रतिघंटा. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
पावर्ड डिसेंट (Powered Descent): अब यहां से स्काई क्रेन के जेट इंजन स्टार्ट हो जाएंगे और वो सही जगह पर लैंडिंग के लिए रोवर को लेकर आगे बढ़ जाएगा. इस दौरान इसके अंदर लगे राडार और टेरेन मैपिंग सेंसर लैंडिंग के लिए सही जगह का चयन करते रहेंगे. ये दो किलोमीटर की ऊंचाई से सतह की रेकी करने के बाद रोवर को नायलॉन टेथर्स से नीचे उतारेगा. (फोटोः NASA Perseverance Rover)
मार्स पर्सिवरेंस रोवर टचडाउन (Mars Perseverance Rover Touchdown): स्काई क्रेन मंगल की सतह से 70 फीट की ऊंचाई से पर्सिवरेंस रोवर को नायलॉन टेथर्स के जरिए नीचे उतारेगा. इस समय स्काई क्रेन 2.73 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से हेलिकॉप्टर की तरह सतह के ऊपर मंडरा रहा होगा. इसी गति से रोवर मंगल की सतह पर नीचे आएगा. इसके बाद स्काई क्रेन उड़कर अलग दिशा में चला जाएगा. (फोटोःNASA Perseverance Rover)