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मेमोरी वाला मेटल...खुद बदल लेता है आकार, मंगल पर इंसानी बस्ती बसाने में करेगा मदद

aajtak.in
  • ह्यूस्टन,
  • 18 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 1:36 PM IST
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किसी निर्जीव वस्तु में आपने याद्दश्त की बात सुनी है कभी. लेकिन साइंटिस्ट्स ने अब एक ऐसी धातु तैयार की है जिसमें याद्दाश्त है. यानी मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory). धरती पर ऐसी मेमोरी वाली निर्जीव वस्तुओं का उपयोग हार्ट सर्जरी में किया जाता है. जैसे दिल के ऑपरेशन में डॉक्टर एक ऐसी ट्यूब डालते हैं जो मरीज के खून की नली में जाकर खुद-ब-खुद डाइलेट हो जाती है. यानी नली के आकार के हिसाब से खुद को चौड़ा कर लेती है. कुछ ऐसी ही धातु स्पेस मिशन के लिए तैयार की गई है जो अपने हिसाब से अपना आकार बदल लेगी. 

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मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory) यानी याद्दाश्त वाली धातु से अगर चंद्रमा और मंगल ग्रह पर जाने वाले रोवर के पहिए बनाए जाएं तो वह रास्ते में आने वाले पत्थरों के मुताबिक अपना आकार बदलकर रोवर को आसानी से चलाएगी. समतल जगह आने पर वापस अपने पुराने आकार में आ जाएगी. 

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वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह की धातु का उपयोग भविष्य में मंगल या चांद पर इंसानी बस्ती बनाने में होगा. इसके लिए इसे कोई मैकेनिकल निर्देश देने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory) को साइंटिस्ट्स ने नाम दिया है नीतिनोल (Nitinol). वैज्ञानिकों ने दावा किया है ये मेटल अपना आकार याद रखती है. दबाव, घर्षण या रफ्तार में अगर इसका स्वरूप बदलता है तो ये पुरानी स्थिति में वापस भी आ जाती है. 

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द वर्ज में प्रकाशित खबर के अनुसार नीतिनोल (Nitinol) को निकल (Nickel) और टाइटेनियम (Titanium) धातुओं से मिलाकर बनाया गया है. ये जितनी गर्म होती है उतना ही ज्यादा बेहतरीन काम करती है. इसे आकार बदलने की ट्रेनिंग दी गई है. उदाहरण के तौर पर अगर आप नीतिनोल (Nitinol) की पेपर क्लिप लें और उसे 500 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करें तो यह आपके मनचाहे रूप में बदल सकती है. 

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गर्म करने के बाद आप इसे तुरंत पानी में डाल दें तो ये आपकी जरूरत के मुताबिक निर्धारित आकार में बदल जाती है. लेकिन जैसे ही इसे गर्मी वापस मिलती है तो ये वापस अपने पुराने आकार में आ जाएगी. मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory) गर्मी के साथ जादू करती है. यानी मंगल ग्रह पर अगर गर्मी ज्यादा होगी तो भी ये अपना स्वरूप वापस पा लेगी. 

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नीतिनोल (Nitinol) का आकार सिर्फ गर्मी की वजह से नहीं बदलता. इसमें डाले गए निकल (Nickel) और टाइटेनियम (Titanium) धातुओं के अनुपात के हिसाब से भी बदलता है. यानी आपको इसका घर बनाना है, गाड़ी बनानी है, या फिर कोई भी ऐसा यंत्र जो दूसरे ग्रह पर पिघल सकता है तो ये बेहद कारगर साबित होगा. ये अपनी आकृति खराब होने के बाद वापस पा लेगी. 

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NASA के ग्लेन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस मेटल के जरिए वह सबसे पहले मंगल ग्रह की मिट्टी का सैंपल कलेक्ट कराएंगे. इस मिशन में नीतिनोल (Nitinol) महत्वपूर्ण किरदार निभाएगी. इस मिशन में नासा के साथ यूरोपियन स्पेस एजेंसी (European Space Agency) भी शामिल हो रही है. 

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आपको जानकर हैरानी होगी कि नीतिनोल (Nitinol) का उपयोग दांतों के ब्रेसेस (Braces) बनाने में भी होता है. इसके अलावा इस धातु का उपयोग रूट कनाल ट्रीटमेंट में भी किया जाता है. आंतों को जोड़ने के लिए भी इस मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory) का उपयोग होता है. इससे स्टेंट्स बनते हैं. हड्डियों के इंम्प्लांट्स भी बनाए जाते हैं. 

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मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory) यानी नीतिनोल (Nitinol) से ब्रेस्ट कैंसर की मार्किंग और लोकेशन का अंदाजा लगाया जाता है. इसका उपयोग मेडिकल साइंस में सबसे ज्यादा होता है. यह धातु 1310 डिग्री सेल्सियस पर पिघलती है. नीतिनोल (Nitinol) एक सुपर इलास्टिक धातु है. यानी ये जरूरत के मुताबिक खुद को खींचकर लंबा या छोटा कर सकती है. 

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नीतिनोल (Nitinol) की खासियत पहली बार 1959 में अमेरिका के नेवल ऑर्डिनेंस लेबोरेटरी में पता चली थी. उस समय विलियम जे बुहलर और फ्रेडरिक वांग इस पर रिसर्च कर रहे थे. तब उन्होंने इसका नाम मेटल विद मेमोरी (Metal With Memory) दिया था. (सभी फोटोः द वर्ज)

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