क्या आपको पता है कि उत्तरी ध्रुव (North Pole) लगातार अपनी जगह बदल रहा है. जी हां...ये सच है. पिछले 120 सालों में यह करीब 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर चुका है. यह 50 से 60 किलोमीटर प्रति साल की गति से आगे बढ़ रहा है. यह कनाडा से खिसककर रूस के पास साइबेरिया तक पहुंच गया है. लेकिन यह भौगोलिक उत्तरी ध्रुव नहीं है. जो खिसक रहा है उसे चुंबकीय उत्तरी ध्रुव कहते हैं.
उत्तरी ध्रुव सन 1900 में कनाडा (Canada) के पास था जो 2020 में खिसककर साइबेरिया (Siberia) पहुंच चुका है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और दुनियाभर के भूगर्भशास्त्री (Geologist) उत्तरी ध्रुव में हो रहे इस बदलाव से हैरान हैं. उनके पास इस बदलाव की व्याख्या करने का कोई कारण नहीं है.
लेकिन यह जानकर आपको हैरानी होगी कि उत्तरी ध्रुव के खिसकने की गति में करीब चार गुना की बढ़ोतरी हुई है. 1990 में यह 0 से 15 किलोमीटर प्रतिसाल की गति से खिसकता था. लेकिन पिछली सदी में इसकी गति बढ़कर 50 से 60 किलोमीटर प्रतिसाल हो गई है.
जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी नासा के वैज्ञानिक सुरेंद्र अधिकारी ने बताया कि हमने यह बात नोटिस की है कि उत्तरी ध्रुव खिसक रहा है. लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है. यह चुंबकीय उत्तरी ध्रुव (Magnetic North Pole) की बात हो रही है. यह भौगोलिक उत्तरी ध्रुव नहीं (Geographic North Pole) है.
चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के खिसकने से इंसानों को कोई नुकसान नहीं होगा. क्योंकि पिछले 7.80 लाख सालों में यह करीब 183 बार बदल चुका है. थोड़ी बहुत दिक्कत आ सकती है, GPS के जरिए यात्रा करने में, एयर ट्रैफिक के नियंत्रण में या फिर सैटेलाइट्स की पोजिशन बदलने में.
आपको बता दें कि भौगोलिक उत्तरी ध्रुव चुंबकीय उत्तरी ध्रुव से अलग होता है. चुंबकीय उत्तरी ध्रुव में इसलिए बदलता है क्योंकि धरती में 3000 किलोमीटर अंदर पिघलते लावे के बहाव में बदलाव होता रहता है. जैसे-जैसे धरती के अंदर के कोर में बदलाव होगा वैसे-वैसे धरती के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव होगा.
धरती के अंदर और बाहर होने वाले चुंबकीय क्षेत्र के बदलाव से आम आदमी के जीवन में फर्क नहीं पड़ता. पर जो भी वैज्ञानिक तकनीक ध्रुवों और चुंबकीय क्षेत्र को आधार मानकर चलती हैं उनपर असर पड़ता है. जैसे - जीपीएस, एयर ट्रैफिक, सैटेलाइट्स का मूवमेंट, मोबाइल फोन कनेक्टिविटी, रेडियो सिग्नल, रक्षा संचार प्रणाली आदि.
1830 में खोजकर्ता जेम्स क्लार्क रॉस ने पहली बार चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के मूवमेंट का पता लगाया था. यह पहले भौगोलिक उत्तरी ध्रुव से काफी दूर था. लेकिन 2017 में यह भौगोलिक उत्तरी ध्रुव के काफी करीब आ गया था.
लीड्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और भूगर्भशास्त्री डॉ. पिल लिवरमोर और उनकी टीम पिछले 20 सालों से चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के लगातार बदलने की सैटेलाइट मैपिंग कर रहे हैं. डॉ. फिल ने बताया कि यह बता पाना मुश्किल है कि यह कभी वापस आएगा या नहीं. या ऐसे ही पूरी धरती का चक्कर लगाता रहेगा.