ओडिशा के दशरथ मांझी कहे जाने वाले दैत्री नायक के लिए उनका पद्मश्री अवार्ड ही मुसीबत बन गया है. इस अवार्ड के मिलने के बाद दैत्री नायक को गांव के लोगों के बीच सम्मान तो मिल रहा है, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा है. आलम यह है कि दैत्री नायक को चींटी के अंडे खाकर गुजारा करना पड़ रहा है.
दैत्री नायक बताते हैं कि उन्हें मोदी सरकार ने उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था, लेकिन अब वो उसे लौटाना चाहते हैं. क्योंकि इस अवार्ड के सम्मान के कारण उन्हें लोग काम नहीं दे रहे हैं. अब तक वो मजदूरी करके अपना पेट पालते थे, लेकिन अब पद्मश्री अवार्ड ही उनके लिए मुसीबत बन गया है.
मालूम हो कि दैत्री नायक ओडिशा के केनोझार के रहने वाले हैं. तालाबैतारानी गांव में उन्होंने तीन सालों में अकेले दम पर एक किलोमीटर लंबी नहर बना दी. इससे लोगों को लोगों को भरपूर पानी मिल रहा है.
बताया जाता है कि पहले केनोझार जिले के बांसपाल, तेलकोई और हरिचंदपुर ब्लॉक के लोग पानी ना होने के कारण परेशान थे. लोगों को पिछले काफी समय से पानी के अभाव में जीना पड़ता था और खेती पर भी असर पड़ रहा था. लेकिन दैत्री नायक द्वारा नहर बनाने के बाद लोगों के पानी की समस्या दूरी हो गई.
दैत्री नायक कहते हैं कि वो अब तक टूटे मकान में रहते हैं. उन्हें इंदिरा आवास योजना के तहत घर भी आवंटित हुआ था लेकिन वह अब तक अधूरा ही है.
सरकार की तरफ से उन्हें 700 रुपये की मासिक पेंशन भी मिलती है पर उससे परिवार का गुजारा नहीं होता है. कमाई के लिए उन्हें तेंदू के पत्ते और आम पापड़ बेचना पड़ रहा है. दैत्री नायक ने आगे बताया कि पद्मश्री मिलने के बाद वो इतने परेशान हो गए हैं कि उन्होंने पद्मश्री मेडल बकरी के बाड़े में टांग दिया है. सरकार भी उनकी नहीं सुन रही है. बस आश्वासन देकर रह गई है. अब तक कोई मदद सरकार की ओर से नहीं मिली है.