लाल ग्रह यानी मंगल पर अक्सर तूफान आते हैं. बिजलियां भी कड़कती हैं. तेज हवाएं चलती हैं. इतनी तेज की बड़े-बड़े पत्थर चकनाचूर हो जाते हैं. मंगल ग्रह पर फिर एक धूल का तूफान आने वाला है. इस तूफान में तेज बिजलियां कड़केंगी. लाल रंग के ग्रह पर धूल के तूफान की वजह से बैंगनी रंग का वातावरण हो जाएगा. क्या नासा का मार्स पर्सिवियरेंस रोवर इस तूफान से बच पाएगा? या फिर ये दूर से तूफान की खूबसूरत तस्वीरें लेकर धरती पर भेजेगा. (फोटोःNASA)
ओरेगॉन यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट जोशुआ मेंडेज हार्पर ने कहा कि मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) जिस जेजेरो क्रेटर में है, वहां पर कुछ दिन पहले ऐसा तूफान आकर जा चुका है. अब अगले तूफान के आने तक रोवर को कोई खतरा नहीं है. लेकिन जब ये तूफान आएगा तो लाल ग्रह का रंग बदलकर बैंगनी हो जाएगा. रोवर के सामने कई बार बिजलियां कड़कती हुई दिखाई देंगी. (फोटोः NASA)
जोशुआ ने बताया कि यह जल्द ही होगा. इसलिए नासा ने जिस मकसद से मार्स पर्सिवियरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) को मंगल ग्रह पर भेजा है, वह मकसद भी पूरा होगा. यानी मंगल ग्रह पर उठ रहे तूफान, बिजली, धूल, इलेक्ट्रिक चार्ज आदि का अध्ययन करने को मिलेगा. (फोटोः गेटी)
जहां तक बात रही बैंगनी रंग की तो जब धूल का तूफान आता है तो धूल के कण घर्षण की वजह से इलेक्ट्रिकली चार्ज हो जाते हैं. ऐसे चार्ज्ड कण जब आपस में टकराते हैं तब वो अलग-अलग रंग का माहौल बनाते हैं. साथ ही छोटी-छोटी बिजलियां पैदा करते हैं. ये बिजलियां इतनी दमदार नहीं होती कि नुकसान पहुंचाएं लेकिन एक साथ ढेर सारी पैदा हो सकती हैं. ये नजारा ऐसा ही होता है जैसा अक्सर ज्वालामुखी फूटने के बाद दिखाई देता है. (फोटोःगेटी)
जोशुआ ने बताया कि मंगल ग्रह पर आने वाले इस तूफान की जांच करते समय ही मार्स पर्सिवियरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) को यह मौका मिलेगा कि वह मंगल ग्रह पर जैविक पदार्थों (Organic Materials) की खोज कर सके. अगर वह इसमें कामयाब होता है तो यह एक बड़ी खोज होगी. क्योंकि जब ऐसे तूफान आते हैं तो वह अपने साथ कई तरह की चीजों के एकसाथ लेकर चलते हैं. कई प्रकार की रासायनिक प्रक्रियाएं होती हैं जो इस बात का सबूत दे सकती हैं कि मंगल ग्रह पर प्राचीन जीवन मौजूद था. (फोटोःगेटी)
मंगल ग्रह पर धूल के तूफान से पैदा होने वाली बिजली को ट्राइबोइलेक्ट्रिक चार्जिंग (Triboelectric Charging) कहते हैं. ये एकदम वैसी ही होती है जैसे सर्दियों में आप किसी धातु की कुर्सी को छूते हैं तो आपको हल्का सा करंट का झटका लगता है. या किसी को इंसान को छूते हैं तो झटका लगता है. ऐसे ही छोटे-छोटे झटके वाली बिजलियां मंगल ग्रह पर धूल के तूफान के दौरान बनती रहती हैं. मंगल ग्रह पर ट्राइबोइलेक्ट्रिक चार्जिंग अक्सर होता रहता है. (फोटोःनासा)
मंगल ग्रह पर ट्राइबोइलेक्ट्रिक चार्जिंग (Triboelectric Charging) के होते रहने के पीछे की वजह है उसका हल्का वायुमंडल. धरती का वायुमंडल मंगल के एटमॉस्फियर से कहीं ज्यादा भारी है. इसलिए वहां ऐसे चार्ज बनते रहते हैं. जोशुआ मेंडेंज कहते हैं कि ऐसी चिंगारियों से घबराने की जरूरत नहीं है. ये मौका है नासा के लिए मंगल ग्रह के बारे में अधिक जानकारी जमा करने के लिए. (फोटोः NASA)
जहां तक बात रही मंगल ग्रह पर बैंगनी रोशनी की. तो इसके पीछे जोशुआ का कहना है कि लाल ग्रह की मिट्टी के कण जब चार्ज होकर आपस में टकराते हैं तब वो बड़े पैमाने पर नीली रोशनी जेनरेट करते हैं. लेकिन कणों के रंग और प्रकाश के परावर्तन की वजह से वो रोशनी बैंगनी रंग की दिखाई देती है. (फोटोःNASA)