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खुदाई के बाद बचे आलू बीनकर लोग भर रहे पेट, अन्न का एक दाना नहीं

aajtak.in
  • 30 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 8:42 PM IST
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कोरोना के चलते जहां देश भर में लॉकडाउन का छठा दिन सन्नाटे में गुजर रहा है. वहीं उत्तरप्रदेश के गाजीपुर के बुजुर्गा गांव में बनवासी मुसहर बस्ती में कामगार और गरीब मजदूर परिवारों का हाल बड़ा ही बुरा है. इनके पास आजकल काम नहीं है न ही उनतक कोई सरकारी मदद पहुंची है.

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बताया जा रहा है कि ये रोज खाने कमाने वाले गरीब मजदूर हैं. लॉक डाउन में पिछले कई दिनों से इन लोगों को रोजी-रोटी की भी दिक्कतें आ गई हैं. घर मे खाने को अनाज नहीं है तो अब ये लोग खेतों में बचे हुए छोटे आलू बीनकर घर ला रहे है. आटा-चावल न होने की वजह से ये बीने हुए आलूओं को नमक के साथ खाकर अपनी जिंदगी किसी तरह से गुजर-बसर करने को मजबूर हैं.

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इन लोगों पर किसी भी प्रशासनिक अमले की अभी तक नजर नहीं पड़ी है. इस मामले में लोगों का कहना है कि वे ईंट भट्टों पर काम करते थे. जिसको लॉकडाउन के कारण बंद कर दिया गया है. गांव में लोग मजदूरी भी नहीं करा रहे जिससे पैसा और अनाज नहीं मिल पाता.

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हालात ये है कि जो आलू खेतों से चुन कर लाए थे वो भी खत्म हो रहे हैं और सरकारी मदद भी नहीं मिली है. ऐसे में बस्ती के सभी बच्चे और औरतें भी भूखे रहने को मजबूर हैं और बचे हुए आलू पर निर्भर हैं. ऐसे में ग्रामीण मुसहर वनवासियों ने जिलाधिकारी गाजीपुर से मांग की है कि हम लोगों को जल्द से जल्द राशन और जरूरत का सामान मुहैया कराया जाए.

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इस गांव में गरीब लोगों को न तो सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह है न ही साफ सफाई, सब एक दूसरे के साथ वैसे ही बिना किसी परहेज के रह रहे हैं. वे इस वक्त भोजन उपलब्ध न होने के कारण ज्यादा परेशान हैं क्योंकि न काम है न पैसा. वनवासियों को प्रशासन से मदद का इंतजार है.

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तो वहीं इस मामले पर जब गाजीपुर के जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य को इन वनवासीयों की समस्याओं से अवगत कराया गया तो वे भी चौक गए और बोले कि ये सभी लोग तो चिन्हित भी हैं और इनके यहां सरकारी मदद भेजी जा रही है. प्रशासन का कहना है कि कुछ लोगों तक राहत सामग्री नहीं पहुंची है तो हम तत्काल उन वनवासी परिवारों को खाद्यान उपलब्ध कराया जाएगा.

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