प्रयागराज के संगम में सूर्यग्रहण से एक दिन पहले एक ऐसा अद्भुत नज़ारा देखने को मिला था जो कभी अपने सिर्फ किताबों और कहानियों में सुना होगा. दरअसल, प्रयागराज में तीन नदियों का मिलन देखने को मिला. लोगों का कहना है कि उन्हें गंगा, यमुना, सरस्वती के एक साथ साक्षात दर्शन हुए. ये दुर्लभ नजारा सूर्यग्रहण से एक दिन पहले कुछ मिनटों के लिए ही देखने को मिला.
गंगा-यमुना के मिलन को तो अक्सर लोगों ने देखा होगा. लेकिन शायद ही किसी ने गंगा, यमुना, सरस्वती के मिलन के एक साथ दर्शन किए होंगे. जब लोगों ने इस दुर्लभ नजारे को देखा तो उनका एक ही सवाल था कि तीसरी नदी कहीं सरस्वती तो नहीं? हालांकि तस्वीरों में साफ तौर पर नदियां अपने-अपने स्वरूप में नजर आ रहीं हैं. लेकिन ये अद्भुत नजारा महज कुछ मिनटों का ही था. इसके बाद एक धारा विलुप्त हो गई. वहीं, स्थानीय लोग कयास लगा रहे हैं कि ये सफ़ेद धारा विलुप्त सरस्वती नदी तो नहीं ?
जानकारी के मुताबिक, सफेद धारा के विलुप्त होने के बाद फिर वहां गंगा और यमुना की धाराएं दिखने लगी. अब इस अद्भुत दृश्य को देखने के बाद अध्यात्म और ज्योतिष अपनी अलग-अलग राय रख रहे हैं. दरअसल, ये दुर्लभ तस्वीर वहां बैठे एक नाविक ने अपने मोबाइल से खींची हैं. जिसके बाद ये तस्वीरें लगातार वायरल हो रही हैं.
बता दें, प्रयागराज के संगम में कुम्भ और माघ का मेला लगता है. जहां तमाम साधु-संत और करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. लोग गंगा और यमुना के दर्शन तो कर लेते हैं लेकिन कभी किसी को विलुप्त सरस्वती के दर्शन नहीं हुए हैं. इन तीनों नदियों मिलन की तस्वीर के सामने आने के बाद उन अफवाहों पर भी विराम लग गया है जिसमें लोगों का कहना है कि सरस्वती नदी अदृश्य हो गई है. लोगों का कहना है कि प्रयागराज में तीन नदियों के मिलन के दौरान दिखने वाली नदियों में नीला पानी यमुना, मटमैला पानी गंगा और सफ़ेद पानी शायद उस विलुप्त नदी सरस्वती का है जिसे किसी ने नहीं देखा जिसके बारे में केवल लोगों ने सिर्फ सुना है.
छोटे महंत लेटे हनुमान मंदिर व अध्यात्म गुरु आनंद गिरी का इस बारे में कहना है कि अध्यात्म की माने तो मां गंगा और यमुना चवर प्रतीक है. शास्त्रों के मुताबिक सरस्वती एक नदी के रूप में है और ज्ञान गंगा के रूप में भी है. प्रयागराज में ये दोनों रूप कभी-कभी देखे जाते हैं. जब भी दो नदियों का मिलन देखा जाता है तब यहां संतों का उत्सव होता है और दिव्य अनुष्ठान होते हैं.
वहीं, ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि जब दो बार ग्रहण पड़ता है तो कुछ विशेष घटना होती है और ग्रहों के कारण ही इनका ये स्वरूप सामने आया है. हर किसी को ख़ास समय पर इनके दर्शन होंगे. प्रकृति अपना रूप बदल रही है और ये घटनायें आम हो जाएंगी. ग्रहों के प्रभाव प्रकृति को नया रूप देंगे.
इस बात की सच्चाई पता करने के लिए आजतक की टीम संगम पहुंची. वहां उन्होंने उस व्यक्ति से बात की जिसने ये दुर्लभ तस्वीरें अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर ली. शख्स का नाम अरुण निषाद उर्फ़ छगन है. उनका कहना है कि हमने केवल सिर्फ ये सुना था कि यहां तीनों धाराएं मिलती है. जब सूर्यग्रहण से पहले ये दुर्लभ नज़ारा देखा तो अपने मोबाइल से फोटो क्लिक कर ली. मैं इस क्षण को कभी नहीं भूलूंगा.
अरुण निषाद का कहना है कि हम लोग यहां बचपन से आते हैं. आज तक हमने सुना ही था कि यहां पर तीनों धारा मिलती है लेकिन हमने कभी देखा नहीं था. हमने पहली बार ऐसा देखा था वह भी सूर्य ग्रहण के पहले. हमने गंगा, यमुना, सरस्वती का पावन संगम देखा. हमने कैमरे से फोटो भी क्लिक की लेकिन वह क्षण मात्र का ही था और वह विलुप्त हो गई. हमारे बुजुर्ग लोग बताते हैं की गंगा, यमुना, सरस्वती का मिलन हमेशा अमावस्या के दिन ही होता है.