फतेहपुर शेखावाटी में दोपहर को अचानक आए धूल के बवंडर से लोगों में अफरातफरी मच गई. धूल के बवंडर के चलते दिन में ही अंधेरा छा गया. नजारा कुछ ऐसा था कि हर तरफ धूल का गुबार नजर आ रहा था. स्थानीय लोगों का कहना है कि दोपहर में अचानक तेज हवा चलना शुरू हो गई और देखते ही देखते धूल का बवंडर तेजी के साथ सीकर की तरफ बढ़ता नजर आया.
तूफानी गति के साथ आए इस बवंडर के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया. वाहन चालक सड़कों पर सुरक्षित स्थान देखकर थम गए. वहीं, बवंडर को आता देख लोगों ने बाजार की दुकानें बंद कर दीं. देखते ही देखते बवंडर ने फतेहपुर को अपने आगोश में ले लिया. करीब आधे घंटे तक इसका असर नजर आया. इसके बाद यह तूफान धीमा पड़ गया. इसके साथ ही हल्की बारिश भी हुई जिससे गर्मी में लोगों को निजात मिल गई.
ऐसे उठते हैं रेगिस्तान में धूल के बवंडर
जैसे समुद्र में तेज हवा के कारण लहरें ऊपर उठना शुरू कर देती हैं. हवा की गति बढ़ने पर ऊपर उठने वाली लहरें तूफान बन जाती हैं. इसी तर्ज पर रेगिस्तान में चलने वाली हवा यहां फैले रेतीले समुद्र में लहरें बना देती हैं. हवा की रफ्तार का यह क्रम बरकरार रहने पर धूल के कणों की मात्रा बढ़ती जाती है और यह धूल आसमान में छा जाती है जिससे रेतीली लहरें तूफान बन जाती हैं.
तेज हवा के साथ आगे बढ़ती ये धूल एक बवंडर का रूप धारण कर लेती है. इस कारण कुछ दूरी तक देख पाना भी मुश्किल हो जाता है. रेगिस्तान में उठने वाले ये बवंडर कई बार मीलों लम्बे होते हैं. ये बवंडर जिस तरफ से होकर गुजरते है वहां सिर्फ धूल ही धूल नजर आती है. चेहरे और कपड़ों से लेकर हर चीज पर धूल जम जाती है. बहुत हल्की इस धूल की सबसे बड़ी खासियत होती है कि यह आसानी से झड़ जाती है. लेकिन लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
इस कारण आते है बवंडर
ज्यादातर रेगिस्तान भूमध्य रेखा के इर्दगिर्द है. इस क्षेत्र में वायुमंडलीय दबाव बहुत अधिक होता है. यह दबाव ऊंचाई पर मौजूद ठंडी शुष्क हवा को जमीन तक लाता है. इस दौरान सूरज की सीधी किरणें इस हवा की नमी समाप्त कर देती हैं. नमी समाप्त होने से यह हवा बहुत गर्म हो जाती है. इस कारण बारिश नहीं हो पाती है और जमीन शुष्क व गर्म हो जाती है.
जमीन के गर्म होने के कारण नमी के अभाव में धूल के कणों की आपस में पकड़ नहीं रह पाती है. ऐसे में ये हवा के साथ बहुत आसानी से ऊपर उठना शुरू कर देते हैं. हवा की गति चालीस किलोमीटर से अधिक होने पर ये धूल कण एक बवंडर का रूप धारण कर लेते है. बवंडर के साथ धूल कण दस से पचास फीट की ऊंचाई तक उठते हैं. कई बार ये इससे भी अधिक ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं.