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सांवलिया सेठ में भक्तों ने बनाया र‍िकॉर्ड, 10 द‍िन में दान क‍िया 3 करोड़ का चढ़ावा

aajtak.in
  • च‍ित्तौड़गढ़ ,
  • 09 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST
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मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्ण धाम चित्तौड़गढ़ जिले के सांवलिया जी में कोरोना काल के बाद खोले गये भंडार में 3 करोड़ से अधिक की राशि का चढ़ावा निकला. (च‍ित्तौड़गढ़ से पीयूष मुंद्रा की र‍िपोर्ट)

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खास बात यह है कि 3 माह के लॉकडाउन के बाद मात्र 10 दिन में यह चढ़ावा निकला.

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सांवलिया जी में गत 10 अप्रैल को चतुर्दशी पर भंडार खोला गया था. इसके बाद कोरोना संक्रमण की वजह से मंदिर में श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था बंद कर दी गई थी जो पुनः 28 जून के बाद नई गाईडलाइन के अनुरूप खोली गई.

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सांवलिया सेठ की महिमा का बखान इसी बात से किया जा सकता है कि मंदिर खोलने के मात्र 10 दिन में भंडारे से 3 करोड़ 12 लाख से अधिक का चढ़ावा निकला. इसके अतिरिक्त 33 ग्राम सोना और 1370 ग्राम चांदी के आभूषण भी चढ़ावे में निकले.

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हर माह की तरह अमावस्या के एक दिन पूर्व खोले गये भंडारे में मंदिर परिसर में गणना प्रारम्भ की गई जिसमें मंदिर कर्मचारियों द्वारा गणना का नजारा आम तौर पर भक्तों के लिये बंद होता है, लेकिन सभी के लिये आकर्षण और जिज्ञासा का केंद्र भी बना रहता है.

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श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है. सन 1840 में तत्कालीन मेवाड़ राज्य में उदयपुर से चित्तौड़ जाने के लिए बनने वाली कच्ची सड़क के निर्माण में बागुन्ड गांव में बाधा बन रहे बबूल के वृक्ष को काटकर खोदने पर वहां से भगवान कृष्ण की सांवलिया स्वरूप 3 प्रतिमाएं निकली थीं. 

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1978 में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया था. इस स्थल पर अब एक अत्यंत ही नयनाभिराम एवं विशाल मंदिर बन चुका है. 36 फुट ऊंचा एक विशाल शिखर बनाया गया है जिस पर फरवरी  2011 में स्वर्णजड़‍ित कलश व ध्वजारोहण किया गया.

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प्रतिमाह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को सांवलियाजी का दानपात्र (भंडार) खोला जाता है और अगले दिन यानी अमावस्या को शाम को महाप्रसाद का वितरण किया जाता है. 

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