गुजरात की आर्थिक राजधानी सूरत के कपड़ा उद्योग में लॉकडाउन की वजह से यहां मिल में काम करने वाले मजदूरों की हालत खराब है. साथ ही उद्योग चलाने वाले मालिकों को भी करोड़ों रुपयों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. सूरत शहर के हजारों कपड़ा यूनिट में चंद उद्योग को शुरू करने की परमिशन तो मिली है मगर उन यूनिट को चलाना आसान नहीं है. (प्रतीकात्मक फोटो)
बताया जा रहा है कि सूरत इलाके का सचिन औद्योगिक क्षेत्र यहां पर छोटे बड़े तकरीबन 2250 औद्योगिक यूनिट चलते हैं. मगर लॉकडाउन की वजह से यहां के यूनिट टोटल बंद हैं. यहां काम करने वाले मजदूरों को रोकने के लिए उद्योगपति यहां रसोई भी चला रहे हैं. लॉकडाउन के बाद प्रशासन ने सचिन औद्योगिक क्षेत्र में सिर्फ़ 73 औद्योगिक यूनिट को शुरू करने की इजाजत दी है. मगर इन यूनिट में एक भी कपड़ा मिल शामिल नहीं है. (प्रतीकात्मक फोटो)
टेकस्टाइल लूम्स, केमिकल, फार्मेसी, पैकेजिंग और इंजीनियरिंग यूनिट को ही चलाने की इजाजत दी है. मगर इसे चलाने के लिए भी मजदूरों की कमी है और जो यहां काम करने आते हैं वो पुलिस की सख्ती की वजह से नहीं आ पा रहे हैं. सचिन नोटीफाइड एरिया औथोरिटी के चेयरमैन महेंद्र रामोलिया का कहना कि यहां ढाई लाख मजदूर काम करते हैं. यहां हुए नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल है. दो से तीन साल में उद्योग शुरू हो सकता है वो भी तब जब सरकार राहत पैकेज देगी. (प्रतीकात्मक फोटो)
इसी सचिन इलाके में दिनेश भाई धनकानी लिबर्टी ग्रुप के नाम से फैक्ट्री चलाते हैं. उनका कहना है, 'अभी 15 से 20 प्रतिशत ही मशीन चल रही है पुलिस के सख्त रवैया के चलते मजदूरों में दहशत है. लॉकडाउन में काम शुरू तो हो गया है मगर वो ना के बराबर है. यूनिट में आने वाले लोगों को सेनेटाइज किया जाता है शारीरिक तापमान चेक किया जाता है. फैक्ट्री में प्रोडक्शन हो रहा है मगर उसे लॉकडाउन के बाद ही बेचा जा सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो)
सचिन इलाके की तरह शहर के पांडेसरा औद्योगिक क्षेत्र में भी तकरीबन 110 कपड़ा मिल चलती हैं और केमिकल यूनिट यहां अलग चलती हैं. पांडेसरा औद्योगिक क्षेत्र में भी एक भी कपड़ा मिल को चलाने की अनुमति सरकार ने नहीं दी है. यहां एक दो केमिकल यूनिट और एक मास्क बनाने वाली यूनिट चल रही है. सूरत में करीबन 350 कपड़ा मिले चलती हैं जिनका अब तक 500-600 करोड़ का नुकसान हो चुका है और प्रति यूनिट को एक करोड़ रुपए महीने का नुकसान उठाना पड़ रहा है. (प्रतीकात्मक फोटो)
सूरत टेक्सटाइल एसोसिएशन का संघ के डायरेक्टर रंगनाथ शारडा का कहना है कि जिस वक्त देश में लॉकडाउन लगाया गया है इस वक्त ज्यादातर शादियां और त्योहारों का सीजन होता है. इस सीजन का कपड़ा बाजार को साल भर इंतजार रहता है. इस सीजन में कुल वर्ष का दो महीने में 25 प्रतिशत कारोबार कर लेते थे. मगर इस बार कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में अब तक 10 हजार करोड़ का नुकसान उठा चुके हैं. जीएसटी और नोटबंदी की पहले से मार झेल रहे कपड़ा बाजार की हालत बहुत खराब हो गई है. (प्रतीकात्मक फोटो)