झारखंड को खनिज संपदाओं का भंडार माना जाता है. अब राज्य में टंगस्टन जैसे महत्वपूर्ण तत्व के अकूत भंडार का पता चला है जो भारत को इस मामले में आत्मनिर्भर बना सकता है. इससे चीन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी. गढ़वा जिले के सलतुआ इलाके में टंगस्टन के भंडार की जानकारी मिली है. जीएसआई ने केंद्र सरकार को इस भंडार के बारे में अवगत करा दिया है. (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं)
बता दें कि टंगस्टन रेयर अर्थ एलिमेंट की श्रेणी में आता है. जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) इसपर काम कर रही है. फिलहाल यह जी 3 स्टेज में है. यानी अभी इसकी मैपिंग की जा रही है. जीएसआई के सूत्रों के अनुसार इस साल के अंत तक मैपिंग और ड्रिलिंग शुरू कर दी जाएगी.
फिलहाल इस बारे में जीएसआई के अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं. टंगस्टन का भंडार कितना है, इसका आकलन फिलहाल नहीं किया गया है. झारखंड में टंगस्टन की यह पहली खदान है. भू वैज्ञानिक अनिल सिन्हा ने बताया कि झारखंड में टंगस्टन मिलने से देश इस मामले में आत्मनिर्भर बन जायेगा और दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जायेगी.
चीन पर निर्भर है भारत
टंगस्टन का प्रयोग
एक समय में टंगस्टन का सबसे ज्यादा प्रयोग बिजली के बल्ब में किया जाता था. हालांकि अब फाइटर जेट, रॉकेट, एयरक्राफ्ट, एटॉमिक पावर प्लांट, ड्रिलिंग और कटिंग टूल्स, स्टेनलेस स्टील के वेल्डिंग , इलेक्ट्रोड, फ्लोरेसेंट लाइटिंग, दांत के इलाज के अलावा उच्च तापमान वाली जगह में इसका इस्तेमाल होता है. 2200 डिग्री सेंटीग्रेट तक तापमान वाली जगह पर इसका प्रयोग किया जा सकता है. लोहा में इसके मिश्रण से उसकी ताक़त बढ़ जाती है.
हालांकि झारखंड के अलावा राजस्थान के नागौर, महाराष्ट्र के नागपुर और बंगाल के बाकुड़ा में टंगस्टन भंडार होने के बारे में जानकारी मिली है. राजस्थान के डेगाना में सालों पहले टंगस्टन का पता चला था लेकिन खनन का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है.