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इस स्वदेशी मिसाइल से आसमान और समंदर में कई गुना बढ़ जाएगी भारत की जंगी ताकत

aajtak.in
  • चांदीपुर,
  • 23 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 2:40 PM IST
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सोमवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में शॉर्ट रेंज की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस मिसाइल को वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) कहते हैं. मिसाइल ने अपने निशाने को तय समय में नेस्तानाबूत कर दिया. (फोटोःDRDO)

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शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) पूरी तरह से स्वदेशी मिसाइल है. इसे भारतीय नौसेना के लिए बनाया जा रहा है, ताकि नौसेना आसमानी हमलों को मुंहतोड़ जवाब दे सके. इस मिसाइल का परीक्षण कम से कम और अधिकतम रेंज के लिए किया गया था. (फोटोःDRDO)

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ऐसा माना जा रहा है कि शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) को भारतीय नौसेना में 2022 में शामिल किया जाएगा. इसके ऑपरेशनल रेंज 40 से 50 किलोमीटर है. इस मिसाइल को अस्त्र मिसाइल के प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है. डीआरडीओ ने इसकी गति का खुलासा नहीं किया लेकिन ये माना जा रहा है कि यह 4.5 मैक यानी 5556.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से दुश्मन पर हमला करेगी. (फोटोःDRDO)

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शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) में वेपन कंट्रोल सिस्टम (WCS) भी लगा है जो इसके ऊपर लगाए गए हथियार को नियंत्रित करता है. ये एक निशाने को तो मार सकता ही है, अगर एक साथ कई निशाने भी हो तो फ्रैगमेंटेड वॉरहेड से निशाना लगाया जा सकता है. (फोटोःDRDO)

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इस मिसाइल के परीक्षण के समय चांदीपुर के प्रशासन ने लॉन्चपैड के आसपास मौजूद पांच बस्तियों के 6322 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था. ताकि किसी तरह का हादसा हो तो ये नागरिक सुरक्षित रहें. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ को इस सफलता के लिए बधाई दी है. (फोटोः DRDO)

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भारतीय नौसैनिक युद्धपोतों में लगाई जाने वाले वर्टिकल लॉन्च सिस्टम में एकसाथ 8 मिसाइलें तैनात की जा सकेंगी. इसका वेपन कंट्रोल सिस्टम (WCS) 360 डिग्री पर दुश्मन के हमलों को इंटरसेप्ट कर सकता है. साथ ही उन्हें नष्ट कर सकता है. यानी ये मिसाइल जहां तैनात होगी उस पर हमला करना असंभव हो जाएगा. (फोटोःDRDO)

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इस मिसाइल के सफल परीक्षणों के बाद जब इसे नौसैनिक युद्धपोतों में लगाया जाएगा तब वहां से पुराने बराक-1 मिसाइलों को हटाया जाएगा. इसमें स्मोकलेस सॉलिड फ्यूल रॉकेट मोटर लगाया गया है. यानी जब ये उड़ेगा तो इसके पीछे बहुत ज्यादा धुआं नहीं छूटेगा. (फोटोःDRDO)

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