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नोटबंदी के 4 साल बाद पुराने नोट लेकर बैंक पहुंचे नेत्रहीन दंपति, फिर...

aajtak.in
  • 12 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 10:11 PM IST
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तमिलनाडु में अगरबत्ती बेचकर अपना गुजारा करने वाले एक नेत्रहीन (जिन्हें दिखाई नहीं देता) दंपति को उस वक्त झटका लगा जब उन्हें पता चला कि उन्होंने जो पाई-पाई जोड़कर अपनी पूंजी बनाई थी वो अब रद्दी में बदल चुकी है.

(सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं)

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दरअसल, तमिलनाडु के पोठिया मोपानुरे गांव के सोमू (58) अपनी पत्नी के साथ मिलकर आसपास के इलाकों में अगरबत्ती और कपूर बेचकर चंद पैसे कमाते थे और उसमें से कुछ पैसे बचाकर अपनी मां को जमा करने के लिए दे देते थे.

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सोमू की मां उन पैसे को जोड़कर 500 और 1000 रुपये के नोटों में बदल देती थी और उन्हें घर में ही सुरक्षित रखती थी. उन्हें ये तक पता नहीं था कि साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद से पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट अमान्य हो चुके थे.

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अभी जब कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लॉकडाउन हुआ तो सोमू और उनकी पत्नी का काम बंद हो गया. इसके बाद उन्होंने बीते 10 साल में पाई-पाई जोड़कर जो 24000 रुपये (पुराने नोट) जमा किए थे वो अपनी मां से मांगे.

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जब वो उन पैसों को बैंक में जमा कराने पहुंचे तो उन्हें यह जानकर झटका लगा कि जिसे वो अपनी जीवन भर की कमाई समझ रहे थे असल में वो साल 2016 में ही रद्दी हो चुकी थी.

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सोमू और उनकी पत्नी के लिए ये किसी झटके से कम नहीं था. सोमू ने नोटबंदी और 500-1000 के पुराने नोटों के अमान्य होने की जानकारी नहीं होने का दावा किया. पुलिस अब इस मामले की जांच में जुट गई है.

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इसके बाद सोमू ने अपने परिवार की मदद के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी से गुहार लगाई है. वहीं पुलिस इसे मामले में नेत्रहीन दंपति से पूछताछ की तैयारी में है.

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पिछले साल भी तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में इसी तरह का एक मामला सामने आया था. दो बुजुर्ग बहनों के पास 46000 रुपये के पुराने 500 और एक हजार रुपये के नोट थे और उन्होंने कहा था कि उन्हें नोटबंदी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

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