उत्तराखंड में एक बार फिर आसमान से आफत गिरी है. जिस तरह केदारनाथ में बादल फटने से तबाही मची थी, ठीक उसी तरह पिथौरागढ़ जिसे में बादल फटने से कई घर ध्वस्त हो गए हैं. पहाड़ से अचानक आई फ्लैश फ्लड में कई घर दब गए. पानी के तेह बहाव में लोगों के बह जाने की भी खबरें आई हैं. आखिर ये बादल कैसे फटता है? क्या मतलब है बादल फटने का...
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगले 2-3 दिनों तक भारी बारिश की वजह से लोगों को दिक्कत हो सकती है. बादल फटने का मतलब ये नहीं होता कि बादल के टुकड़े हो गए हों.
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जब एक जगह पर अचानक एकसाथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरे किसी गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह तेज़ी से नीचे गिरने लगता है.
कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है. फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है.
पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों फंस जाते हैं. पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते. फिर अचानक एक ही स्थान पर तेज़ बारिश होने लगती है. चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है.
इस ट्वीट में देखेंः कैसे फटता है बादल
पहाड़ों पर अमूमन 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं. हालांकि, बादल फटने का दायरा ज्यादातर एक वर्ग किमी से ज्यादा कभी भी रिकॉर्ड नहीं किया गया है. पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है जो सैलाब बन जाती है.
पहले धारणा थी कि बादल फटने की घटना सिर्फ पहाड़ों पर ही होती है. लेकिन मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने की एक घटना के बाद यह धारणा बदल गई है. कई बार बादल के मार्ग में अचानक से गर्म हवा का झोंका आ जाए तो भी बादल फट जाते हैं. मुंबई की घटना इसी वजह से हुई थी.
बादल फटने की भयावह घटनाएं
- 14 अगस्त 2017- पिथौरागढ़ जिले के मांगती नाला के पास बादल फटने से 4 की मौत. कई लापता.
- 11 मई 2016 में शिमला के पास सुन्नी में बादल फटा, भारी तबाही.
- 16-17 जून 2013 - केदारनाथ में बादल फटे. 10 से 15 मिनट तक तेज बारिश और भूस्खलन से करीब 5 हजार लोग मारे गए.
- 6 अगस्त 2010 - लेह में बादल फटा. एक मिनट में 1.9 इंच बारिश. भारी तबाही.
- 26 नवंबर 1970 - हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से एक मिनट में 1.5 इंच बारिश हुई थी.