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चीन को जवाब, लद्दाख सीमा तक जाएगी सबसे ऊंची रेल लाइन

aajtak.in
  • 13 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST
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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीनी सेना के बीच हाल के दिनों में तनाव चरम पर पहुंच गया था. चीन ने सीमा तक अपने सैनिकों और हथियारों को पहुंचाने के लिए रेल और सड़क मार्ग का मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है. ऐसे में सामरिक तौर पर चीन को जवाब देने और भारतीय सेना को वहां तक पहुंचाने के लिए भारतीय रेलवे ने भी कमर कस ली है.

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अगर अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा तक रेल ट्रैक बिछा रहा है तो भारतीय रेलवे ने भी चीन सीमा तक दुनिया की सबसे ऊंची रेललाइन बनाने का काम शुरू कर दिया है जो लेह तक जाएगी.

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सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही इस रेल लाइन परियोजना को बिलासपुर-मनाली-लेह के जरिए सीमा तक जोड़ा जाएगा. सबसे कम तापमान और कम ऑक्सीजन के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे दर्रों में बन रही 1500 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन पर लेवलिंग का काम पूरा हो गया है.

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हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर से लेह के बीच इस 475 किलोमीटर लंबी ब्रॉडगेज पर पटरी बिछाने का काम भी शुरू कर दिया गया है. इस रेल लाइन पर पुल, स्टेशन और सुरंग में महत्वपूर्ण स्थानों पर 184 कंट्रोल प्वाइंट बनाए जाएंगे.

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बता दें कि इस रेल लाइन पर 51 फीसदी सुरंगों का काम पूरा  हो चुका है जबकि 110 पुलों को बनाने का काम जारी है. इस रूट पर 31 रेलवे स्टेशन होंगे और इसकी लागत 68 हजार करोड़ रुपये है.

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इस रेल लाइन के बन जाने के बाद चीन सीमा पर तैनात जवानों तक रसद और हथियार पहुंचाने में आसानी होगी क्योंकि यह लाइन चीन सीमा के पास तक जाएगी. भारतीय रेल के इतिहास में इस रेल लाइन के निर्माण को सबसे मुश्किलों कामों में से एक माना जा रहा है.

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इस रेल लाइन पर सबसे लंबी सुरंग 13.5 किलोमीटर की होगी जबकि पहाड़ों में सुरंगों की कुल लंबाई 238 किलोमीटर होगी.

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