आज के दिन 29 नवंबर 1941 को जब जर्मन सेना रूस की राजधानी मास्को के करीब पहुंच चुकी थी. रेड आर्मी ने एक मजबूत जवाबी कार्रवाई शुरू की और नाजियों के पीछे खदेड़ दिया. इस तरह मास्को पर नाजी सेना के कब्जे में जाने बच गया.
विश्व इतिहास में अब तक का सबसे विनाशकारी युद्ध सेकंड वर्ल्ड वॉर रहा है. इस युद्ध में करोड़ों लोगों की जान चली गई. आज की कहानी इस युद्ध की एक ऐसी घटना से जुड़ी है, जब हिटलर की सेना मास्को पर कब्जा करने वाली थी. फिर रेड आर्मी ने एक रणनीति के तहत ऐसा जवाब दिया कि नाजियों को पीछे हटना पड़ा. (फोटो - Getty)
ऑपरेशन टाइफून हिटलर का एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान था.जर्मन सेना ने इसी दिन हिटलर के आदेश पर मास्को पर आक्रमण किया था. दो महीने तक युद्ध चलने के बाद हिटलर की सेना को पीछे हटना पड़ा और ऑपरेशन टाइफून असफल रहा.(फोटो - Getty)
हिटलर ने ऑपरेशन बारबारोसा के दौरान चार महीने के अंदर मास्को पर कब्जा करने की घोषणा की थी. 22 जून 1941 को जर्मनी सैनिकों ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर दिया. पूरी सोवियत सेनाओं को नष्ट करने के लिए ब्लिट्जक्रेग रणनीति का इस्तेमाल किया गया. यानी एक साथ हवाई हमला, टैंक से आक्रमण और पैदल सेना का आगे बढ़ना. (फोटो - Getty)
जर्मन सेना ने सितंबर के अंत में कीव शहर पर कब्जा कर लिया था. इसलिए हिटलर ने घोषणा कि- दुश्मन टूट चुका है और फिर कभी उठने की स्थिति में नहीं होगा. इसलिए 2 अक्टूबर को 10 दिनों के लिए ऑपरेशन टाइफून शुरू किया गया, जिसका मकसद मास्को पर कब्जा करना था, जो हर दिन सोवियत राजधानी के करीब पहुंच रहा था. (फोटो - Getty)
30 सितंबर 1941 को फिर से मास्को पर चढ़ाई की तैयारी शुरू हुई और ऑपरेशन टाइफून की रणनीति बनी. इसके बाद 2 अक्टूबर 1941 को ऑपरेशन टाइफून शुरू किया गया. कहा जाता है कि कुछ जर्मन जनरलों ने हिटलर को ऑपरेशन टाइफून शुरू करने को लेकर चेतावनी दी थी. क्योंकि रूस में कठोर सर्दी शुरू हो गई थी. लेकिन जनरल बॉक ने आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. (फोटो - Getty)
फिर जवाबी कार्रवाई के लिए रूस तैयार हुआ और आज के दिन यानी 29 नवंबर 1941 को, सोवियत संघ ने जर्मनी के ऑपरेशन टाइफून (Operation Typhoon) के खिलाफ प्रतिरोध तेज कर दिया. 29 नवंबर को रेड आर्मी ने कई इलाकों में जर्मन आक्रमण को रोकने में सफलता हासिल की. (फोटो - Getty)
मॉस्को को जल्दबाजी में मजबूत किया गया. यहां 250,000 महिलाओं और किशोरों ने मॉस्को के चारों ओर खाइयों और टैंक-रोधी खाइयों का निर्माण किया. बिना किसी यांत्रिक मदद के लगभग तीन मिलियन क्यूबिक मीटर मिट्टी को हटाया गया. मॉस्को के कारखानों को जल्दबाजी में सैन्य कार्यों में बदल दिया गया. एक ऑटोमोबाइल कारखाने को सबमशीन गन शस्त्रागार में बदल दिया गया. एक घड़ी कारखाने ने माइन डेटोनेटर का निर्माण शुरू कर दिया. (फोटो - Getty)