भारत आज कोरोना संकट के बीच अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस सेलिब्रेट कर रहा है. आने वाले समय में भारत के सामने कैसी चुनौतियां होंगी और इनका सामना कर वो किन उपबल्धियों को हासिल करेगा. इस संदर्भ में ज्योतिषाचार्य कलम नंदलाल ने विस्तार से जानकारी दी है. उन्होंने कुंडली और राशि लग्न के आधार पर बताया कि 15 अगस्त 2020 से 14 अगस्त 2021 तक भारत का भविष्य कैसा रहेगा.
ज्योतिषविद ने बताया कि भारत को 15 अगस्त 1947 को ठीक 12 बजकर 01 सेकेंड पर
स्वतंत्रा मिली थी. जन्म स्थान के तौर पर नई दिल्ली माना जा सकता है. भारत
की कुंडली वृषभ लग्न की है. लग्न में राहु बैठा हुआ है और सातवें भाव में
केतु है. पराक्रम का स्वामी चंद्रमा अपनी ही राशि में है. इसके अलावा
पंचग्रही योग बुध, शुक्र, शनि और सूर्य से इसी कुंडली में विषयोग का
निर्माण भी होता है. शुक्र और शनि इसमें अस्त हैं.
भारत की वर्तमान
स्थिति देखें तो वृषभ लग्न की कुंडली में धन के भाव में राहु बैठा हुआ है.
शुक्र भी साथ बैठा हुआ है और चंद्रमा का उदय हो रहा है. शुक्र इस कंडुली में
लग्नेश भी है और शत्रु का स्वामी भी है. ग्रहों की स्थिति को देखते हुए आने
वाला समय भारत के लिए बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता है.
हालांकि पराक्रम भाव
में सूर्य और बुध का एकसाथ बैठना संकेत दे रहा है कि भारत अपने शत्रुओं को
मुंहतोड़ जवाब देगा. केतु और ब्रहस्पति का 8वें भाव में होना (जनका का
भाव) थोड़ी दिक्कतें पैदा करेगा. कमाई ना होने के वजह से लोगों के खर्चों
में कमी आएगी.
लाभ और हानि का स्वामी मंगल कुंडली के 11वें भाव
में गोचर कर रहा है. मंगल की उपस्थिति 11वें भाव को कमजोर बना रही है.
हालांकि भारत हर असामान्य विपदा से बाहर निश्चित तौर पर आएगा. तीसरे भाव
में सूर्य, बुध, धनेष और पंचमेष की मौजूदगी भारत को सदृढ़ बना रही है.
शनि
का अपने ही स्थान पर रहना, 11वें भाव, पराक्रम भाव में दृष्टि देना और
साथ ही साथ छठे भाव में दृष्टि देना एक बात को सुनिश्चित करता है कि भारत के सामने
समस्या जरूर हैं, लेकिन इनका निपटारा भी होगा. भारत में इस वक्त चंद्रमा की
महादशा चल रही है. इसमें शनि का अंतर 10 जुलाई, 2021 तक चलेगा.
चंद्र
गोचर के हिसाब से सातवें भाव में शनि का बैठना ये सुनिश्चित करता है कि
भारत आयात के मामले में कई देशों को स्वागत कर सकता है. कई विदेशी कंपनियां
भारत में निवेश कर सकती हैं. इस दौरान राहु का चंद्रमा के साथ 12वें भाव में बैठना
थोड़ी दिक्कत दे सकता है.
ग्रहों की ऐसी स्थिति को देखते हुए 23
सितंबर तक भारत की आर्थिक नीतियां बहुत ज्यादा कारगर सिद्द नहीं होंगी.
लेकिन जैसे ही राहु भारत की कुंडली से निकलकर 11वें घर में प्रवेश करेगा,
निश्चित तौर पर भारत को बड़ी सफलता मिल सकती है.
ज्योतिषविद की
मानें तो इस साल दिवाली से लेकर अगले साल होली तक भारत में प्राकृतिक
आपदाओं से थोड़ा संभलकर रहना होगा. खासतौर पर दक्षिण प्रदेशों के लिए ये
ज्यादा हानिकारक हो सकता है. सूर्य जब भारत की कुंडली के सातवें भाव यानी
वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा तो उन्नति और उत्थान के योग बनेंगे.
14
जनवरी, 2021 को जब सूर्य और शनि की युति होगी, यानी दोनों ग्रह एक ही राशि
में विराजमान होंगे, तब भारत की स्थिति सबसे ज्यादा अच्छी हो सकती है. इस
दौरान भारत वित्तीय रूप से भी मजबूत होगा. इससे पहले 20 नंवबर को जब
बृहस्पति नौवें भाव में गोचर करेगा, तब स्थिति में सुधार आने लगेगा.