18 साल पहले नाराज होकर घर से निकले महंगी प्रसाद पर जब कोरोना काल में लॉकडाउन की मार पड़ी तो वह मुंबई से घर वापस लौटै. जब वह घर पहुंचे तो उनकी किस्मत में बस रोना ही बचा था. न तो मां मिली और न ही पत्नी जिंदा रही.
मंहगी प्रसाद को घर पर मिली वह बेटी जिसे वह कम उम्र में ही छोड़ कर घर से निकल गए थे. आखिर और कर भी क्या सकते थे उनकी किस्मत में तो अब सिर्फ रोना ही बचा था.
गौरतलब है कि थाना तरकुलवा क्षेत्र के कैथवलिया गांव के रहने वाले महंगी प्रसाद 18 साल पहले किसी बात पर पत्नी से नाराज होकर मुंबई चले गए थे. उस वक्त उनकी उम्र लगभग 40 साल थी और शादी भी हो चुकी थी.
घर पर मां, पत्नी और 3 छोटी बेटियों को छोड़ मुंबई पहुंचे महंगी प्रसाद ने रोजी रोजगार के लिए छोटे-बड़े कई काम किए. वे एक छोटी फैक्ट्री में वॉचमैन का काम कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कभी घर व गांव की तरफ मुड़ कर नहीं देखा. घर के लोगों ने महंगी की बहुत तलाश की और अंत में उन्हें मरा हुआ मानकर संतोष कर लिया.
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में जब काम धंधा ठप हो गया तब कुछ दिन भूखे रहने के बाद महंगी प्रसाद को घर की याद आई. वहां से एक ट्रक को 3500 रुपये भाड़ा देकर वह गोरखपुर पहुंचे और फिर पैदल ही घर पहुंचे.
पिता को मरा समझ भूल गई बेटी और दामाद ने जब पिता व ससुर को जिंदा देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अब महंगी प्रसाद गांव में ही अपनी बेटियों के साथ बची हुई जिंदगी बिताएंगे. इस समय इनकी मंझली बेटी मीरा और दामाद दशरथ साथ में हैं.