कजाकस्तान के एक छोटे से गांव में कुछ सालों पहले तक एक रहस्यमयी परेशानी से लोग जूझ रहे थे. इस गांव के 150 से ज्यादा लोगों को हिंसक मतिभ्रम होते थे और ये लोग एक-एक हफ्ते तक सोते रह जाते थे. इसके चलते इस गांव के लोग सोने से भी डरने लगे थे. कलाची नाम के इस गांव के लोगों को बेहद अजीबोगरीब स्थिति से दो-चार होना पड़ रहा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
इस गांव में ज्यादातर जर्मन और रूसी लोग रहते हैं. Komsomolskaya Pravda नाम के अखबार के मुताबिक, गांववाले अचानक सो जाते थे. कई बार तो वे चलते-चलते सो जाते थे और फिर कमजोरी, सिरदर्द और मेमोरी लॉस के साथ उनकी नींद खुलती थी. कई बार ये लोग सोते-सोते चलते भी रहते थे हालांकि उन्हें जब उठाया जाता तो उन्हें कुछ याद नहीं रहता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
हालांकि इस गांव के सिर्फ एडल्ट्स के साथ ही परेशानियां पेश नहीं आ रही थी बल्कि इस गांव के बच्चे भी अजीबोगरीब समस्या से गुजर रहे थे. उन्हें बेड में सांप या उड़ने वाले घोड़े दिखाई देते थे. इसके बाद इस मामले को लेकर कई थ्योरी सामने आने लगीं. कुछ लोगों ने कहा कि सोवियत संघ के जमाने से ही इस गांव के पास यूरेनियम की माइन है जिसके चलते ऐसा हो सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
वही कई लोगों का कहना था कि पानी में कोई केमिकल डालकर गांववालों का माइंड कंट्रोल किया जा रहा है. हालांकि इस मामले में सरकार ने अपनी रिपोर्ट सामने रखी थी. साल 2015 में कजाकस्तान सरकार ने एक स्टेटमेंट जारी किया था कि इस क्षेत्र में एक माइन से निकली कार्बन मोनोऑक्साइड के चलते यहां ये गैस काफी ज्यादा बढ़ गई थी जिसके चलते लोग अजीबोगरीब व्यवहार कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)
जब इस गांव के आसपास टेस्टिंग की गई तो यहां कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा सामान्य से दस गुणा अधिक पाई गई थी. इसके बाद सरकार ने कई परिवारों को इस क्षेत्र से बाहर निकलवा दिया था. फिलहाल इस गांव में 120 परिवार रहते हैं और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा सामान्य होने के चलते अब लोग सहज होकर जिंदगी जी रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty Images)