केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली.
दवे का जन्म 6 जुलाई 1956 को हुआ था. मध्य प्रदेश के उज्जैन के छोटे से गांव बारनगर में उनका जन्म हुआ था. वह लेखक और पायलट भी थे.
दवे ने इंदौर के गुजराती कॉलेज से एमकॉम की पढ़ाई पूरी की.1964 से राष्ट्रीय स्वयंमसेवक संघ से जुड़े रहे. दवे को नर्मदा नदी के संरक्षण के प्रयास को लेकर जाना जाता था. इसके लिए उन्होंने ‘नर्मदा समग्र’ संस्था बनाकर काम किया था.
यही नहीं अनिल माधव दवे ने 18 घंटो तक नर्मदा के तटों पर खुद हवाई जहाज उड़ाया था. साथ ही 12 किलोमीटर की पदयात्रा भी की थी.
एशिया में होने वाले ‘नदी उत्सव’ के पीछे भी दवे की कोशिशें ही थी. नदी उत्सव में पूरी दुनिया में नदियों के रख रखाव और संरक्षण पर चर्चा होती है.
2009 में वह राज्यसभा सांसद बने. उस समय उन्हें जल संरक्षण समिति का मेंबर बनाया गया था. 2010 में मार्च से जून माह तक दवे ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज के संसदीय मंच के सदस्य भी थे.
मध्यप्रदेश के हौशंगाबाद जिले में स्कूलों में बॉयो ट्वालेट बनाने के पीछे भी दवे की कोशिशें ही थीं. इस अभियान के बाद 18 सौ 80 स्कूलों के 98 हजार छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग ट्वायलेट की सुविधा उपलब्ध हुई थी.
इसका जिक्र लालकिले से अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. 5 जुलाई 2016 को हुए मोदी सरकार के केबिनेट विस्तार में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था.
अनिल माधव दवे एक राइटर भी थे. उन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए कई किताबें भी लिखीं. इसमें सृजन से विसर्जन तक, चंद्र शेखर आजाद, संभल के रहना घर में छुपे हुए गद्दारों से, शताब्दी के पांच काले पन्ने और नर्मदा समाग्र जैसी किताबें शामिल हैं.