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महाआग की 12 साल पहले हुई थी भविष्यवाणी, अब मच रही तबाही

aajtak.in
  • 17 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST
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ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग अब बुझनी शुरू हुई है क्योंकि पिछले 36 घंटों में वहां कई जगहों पर बारिश हुई है. लेकिन पिछले साल सितंबर में लगी यह भयावह आग 6 महीने तक जलती रही और फैलती रही. इससे 25 लोगों और करीब 1 करोड़ जीव-जंतुओं की मौत हो गई. करीब 2500 से ज्यादा घर जल गए. इस आग को रोकने की कोशिश हो सकती थी. लेकिन शायद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इसकी तैयारी पहले से नहीं की थी. जबकि उन्हें ये बात 12 साल पहले से पता थी कि ऑस्ट्रेलिया में इतनी भयावह आग लगने वाली है. (फोटोः रायटर्स)

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ऑस्ट्रेलियाई सरकार को 2008 में ही एक रिपोर्ट दी गई थी जिसमें लिखा था कि अगर ऐसे क्लाइमेट चेंज होता रहा और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ती रही तो 2020 से ठीक पहले या शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में भयानक परिवर्तन हो सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ सकता है. पिछले 6 महीने से लगी आग की वजह से ऑस्ट्रेलिया का औसत तापमान करीब 42 डिग्री सेल्सियस है. (फोटो में दिख रहा है ऑस्ट्रेलियाई आग का थ्रीडी मॉडल)

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16 जनवरी 2020 को ही संयुक्त राष्ट्र ने 2019 को पिछले 140 सालों में दूसरा सबसे गर्म साल करार दिया था. ऑस्ट्रेलियाई सरकार को जब यह बात पता था कि उसने इसके लिए तैयारी क्यों नहीं की? एक विज्ञान मैगजीन में बताया गया है कि 2008 में प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट गारनॉट चैप्टर 5 (Garnaut Chapter 5) में साफ-साफ लिखा था कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग से 2020 से ठीक पहले या शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया में भयानक आग लग सकती है. देश का तापमान बढ़ सकता है. (फोटो में दिख रही है गारनॉट चैप्टर 5 की रिपोर्ट)

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न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी की स्कॉलर साराह पर्किंस कर्कपैट्रिक ने बताया कि अभी ऑस्ट्रेलिया की सरकार यह बात मानने को तैयार नहीं है लेकिन इसके बारे में 2008 में ही भविष्यवाणी कर दी गई थी. इस रिपोर्ट को ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने कमीशन किया था. पूरे ऑस्ट्रेलिया को ये बात पता था कि 2020 से ठीक पहले जंगल की आग फैल सकती है. लेकिन कुछ नहीं किया गया. (फोटोः AP)

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16 पेज के गारनॉट चैप्टर 5 रिपोर्ट के अनुसार यह आग इतनी तेजी से फैलेगी कि इसपर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा. साराह पर्किंस कर्कपैट्रिक ने बताया कि जो बातें उस रिपोर्ट में लिखी गई थी वही बातें अब सभी लोग देख रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया में तापमान बढ़ने के दो कारण हैं. पहला इंडियन ओशन डाइपोल जो गर्म पानी और भांप को ऑस्ट्रेलिया से खींच लेता है. दूसरा साउदर्न एन्यूलर मोड जो ऑस्ट्रेलिया में गर्म, सूखी हवाओं का बहाव बढ़ाता है.  (फोटोः AP)

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गारनॉट चैप्टर 5 रिपोर्ट में भविष्यवाणी की गई थी कि वर्ष 1910 की तुलना में 2020 तक ऑस्ट्रेलिया का तापमान करीब 1 डिग्री बढ़ जाएगा. अभी पिछले छह महीने से लगी आग की वजह से ऑस्ट्रेलिया का औसत तापमान सर्दियों में भी करीब 42 डिग्री सेल्सियस बना हुआ है. सबसे बड़ा खतरा अब बन रहे हैं वो बादल जो इस आग के धुएं से बने हैं.

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ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग अब बुझनी शुरू हुई है क्योंकि पिछले 36 घंटों में वहां कई जगहों पर बारिश हुई है. लेकिन जंगलों में लगी आग से उठे धुएं से अब पाइरोकुमुलोनिंबस (Pyrocumulonimbus) नामक बादलों का निर्माण हो रहा है. ये बादल बहुता ज्यादा इलेक्ट्रिकली चार्ज हैं. जो ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर आसमानी बिजली की बारिश करा सकते हैं. इससे वापस आग लगने का खतरा बढ़ गया है. (फोटोः AP)

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ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में आग लगने का इतिहास करीब 47 साल पुराना है. लगभग हर साल यहां के जंगलों में आग लगती है लेकिन जब ऑस्ट्रेलियाई सरकार को 12 साल पहले ही गारनॉट चैप्टर 5 रिपोर्ट की भविष्यवाणी का पता था तो क्यों नहीं उसने कोई सही कदम उठाया?

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अब यह दावा किया जा रहा है कि ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से करीब 1.30 करोड़ स्तनधारी जीवों, पक्षियों और सरिसृपों की मौत हो चुकी है. शुरुआत में पक्षी और कंगारूओं ने तो भागकर अपनी जान बचा ली लेकिन बाद में वे भी मारे गए. क्योंकि उनका खाना-पीना सब बंद हो गया था.

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