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कांग्रेसी बुकलेट में सावरकर-गोडसे के बीच 'समलैंगिक रिश्ते' का दावा! बवाल

रवीश पाल सिंह
  • 02 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 7:41 PM IST
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भोपाल में कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में सावरकर पर विवादित साहित्य बांटा गया है. इस साहित्य में सावरकर को लेकर जो बातें लिखी गई हैं, उस पर अब विवाद खड़ा हो गया है.

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सेवादल की बैठक में जो किताब बांटी गई है उसका नाम है 'वीर सावरकर, कितने वीर?’

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इस किताब में लिखा है कि सावरकर जब 12 साल के थे, तब उन्होंने मस्जिद पर पत्थर फेंके थे और वहां की टाइल्स तोड़ दी थी.

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यही नहीं, किताब में नाथूराम गोडसे और सावरकर के संबंधों को लेकर भी विवादित टिप्पणी की गई है.

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इसके अलावा किताब में लिखा है कि सावरकर अल्पसंख्यक महिलाओं से बलात्कार करने के लिए लोगों को उकसाते थे.

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किताब में यह भी बताया गया है कि सावरकर ने जेल से बाहर आने के लिए अंग्रेजों से लिखित में माफी मांगी है और आश्वासन दिया था कि वो दोबारा किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे.

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अब सेवादल की बैठक में विवादित किताब बांटने पर बीजेपी ने कड़ा विरोध जताया है.

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बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि महिलाओं को तन्दूर में जलाने वाली कांग्रेस से उम्मीद भी  क्या की जा सकती है? रामेश्वर शर्मा ने कहा है क‍ि कांग्रेस सिर्फ सोनिया गांधी के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है, इसलिए ऐसी बातें करती है क्योंकि उसे इस बात का डर है कि देश मे कश्मीर, अयोध्या और ट्रिपल तलाक पर इतने बड़े फैसले हुए लेकिन एक दंगा नहीं हुआ. इसलिए जानबूझकर मुस्लिमों का वोट लेने के लिए कांग्रेस ऐसा करती है.

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कांग्रेस सेवादल की बैठक में सावरकर पर विवादित साहित्य पर कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया आई है.

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कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा है कि कांग्रेस सेवादल में जो साहित्य बांटा गया है वो कोई नया नहीं है. सावरकर के बारे में जो कहा गया है वो जगजाहिर है. उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी, ये जगजाहिर है.

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आगे दुर्गेश शर्मा ने कहा क‍ि देश को बांटने की जिन्ना की सोच का कहीं ना कहीं सावरकर ने समर्थन किया था. ये सब साहित्य है और ये साहित्य कोई कांग्रेस ने नहीं लिखा. ये तो साहित्यकारों ने लिखा है. देश को इन सब बातों के बारे में आज जानना चाहिए.

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शर्मा ने इस क‍िताब का बचाव करते हुए कहा क‍ि जिस तरह से देश में आज गोडसे को देशभक्त बताने का काम कुछ नेता कर रहे हैं, ऐसे में देश के सामने ये तथ्य आने चाहिए कि देश के लिए किसने बलिदान दिया और किसने अंग्रेजों का साथ दिया.

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